छत्तीसगढ़

चुनाव से पहले TS सिंहदेव को DyCM बनाना कांग्रेस का लॉलीपॉप या बघेल को संदेश

नई दिल्ली/रायपुर

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव को चुनावी मुहाने पर खड़े राज्य छत्तीसगढ़ का डिप्टी सीएम कांग्रेस ने यूं ही नहीं बनाया. इस एकमात्र तीर से कांग्रेस ने कई चीजें साध ली हैं. अंतिम समय में ही सही, उन्हें यह पद मिलना इस बात को पुख्ता करता है कि कांग्रेस हाईकमान की नजर में वे महत्वपूर्ण है. चुनाव जीतने के लिए भी वे महत्वपूर्ण हैं. राजनीति में कई बार संकेतों से शिकार किए जाते हैं.

सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर श्री सिंहदेव महत्वपूर्ण क्यों हैं? असल में वे जिस सरगुजा संभाग से आते हैं, वह उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है. इस क्षेत्र में यूं तो 14 विधानसभा क्षेत्र आते हैं लेकिन सिंहदेव का प्रभाव कम से कम 20 सीटों पर सीधे-सीधे है. 90 सीटों वाले छतीसगढ़ राज्य में 20 सीटों पर सीधा दखल रखने वाला कोई भी व्यक्ति अचानक महत्वपूर्ण हो जाता है. वे केवल राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री नहीं हैं. वे राज परिवार से आते हैं. 500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं. राज्य के सबसे अमीर विधायक हैं. सिंधिया स्कूल, दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई-लिखाई की है. धीर-गंभीर व्यक्तित्व के स्वामी हैं. उनके बारे में कोई कुछ भी कहे लेकिन वे अपनी ओर से कोई भी हल्की बात नहीं करते.

पिता IAS और मां मंत्री रहीं
उनके पिता मदनेश्वर शरण सिंहदेव भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर थे. एमपी के मुख्य सचिव पद तक पहुंचने के बाद भी वे योजना आयोग में उपाध्यक्ष रहे. मां देवेन्द्र कुमारी सिंह मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहीं. यह परिवार शुरू से ही कांग्रेस के साथ रहा. तमाम अफवाहों के बावजूद वे कांग्रेस में बने हुए हैं. पार्टी उन्हें दूसरे राज्यों में भी जिम्मेदारी देती रही है.

रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार अशोक साहू की मानें तो इस फैसले से कांग्रेस ने कई चीजें साध ली हैं. एक तो महराज के कार्यकर्ताओं-समर्थकों में संदेश चला गया. अब जो लोग सुस्त पड़े हुए थे, वे सब एक्टिव हो जाने वाले हैं. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्टी की ओर से उनके धैर्य का पुरस्कार भी माना जा रहा है डिप्टी सीएम के रूप में उनकी तैनाती. कई बार अफवाह उड़ी कि वे भाजपा में जा रहे हैं, पर हर बार उन्होंने हवा निकाल दी. बकौल साहू-राज्य में एक चर्चा इन दिनों होने लगी है कि कांग्रेस की सरकार दोबारा बनने जा रही है.

सत्ता में फिर से वापसी के कयास
पार्टी का अंदरूनी सर्वे भी इस चर्चा को बल दे रहा है. ऐसे में कांग्रेस कोई चूक नहीं करना चाहती. प्रभारी शैलजा लगातार कैंप कर रही हैं. राज्य में घूम रही हैं. इसमें उनका भी योगदान माना जा रहा है. इस फैसले का लाभ कांग्रेस को मिलेगा, इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए.

साल 2013 के चुनाव के कांग्रेस हारी तब वे सिंहदेव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने. कांग्रेस पार्टी ने उन पर भरोसा जताया. 2018 का चुनाव जीतने के लिए वे हरसंभव कोशिश करते देखे गए. राज्य का दौरा किया. गांव-गांव गए. लोगों से उनकी समस्याएं सुनीं. जब कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में उन्हें घोषणा पत्र बनाने का काम सौंपा तो वे उन सारे तथ्यों को समेटने में कामयाब हुए जो राज्य की जनता के हित में थे. कांग्रेस की सकार बनी. लोगों ने, उनके चाहने वालों ने उम्मीद भी बना रखी थी कि सिंहदेव सीएम बनेंगे, पर उस समय बघेल का नाम सामने आया और वे सीएम पद की शपथ लेने में कामयाब रहे.

डिप्टी सीएम बनाना कांग्रेस की मजबूरी
सिंहदेव को उस समय कई महत्वपूर्ण विभाग देकर उनका महत्व बनाए रखने की कोशिश कांग्रेस ने की लेकिन बघेल से उनका अनबन बना रहा. हालांकि, उन्होंने इसे कभी सार्वजनिक नहीं होने दिया. हां, हेल्थ को छोड़ बाकी विभागों के मंत्री पद से उन्होंने इस्तीफा जरूर दे दिया. ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्ति को अंत समय में डिप्टी सीएम बनाना कांग्रेस की मजबूरी थी. बघेल को संदेश भी है. दोबारा सरकार बनाने की चाहत भी बनी हुई है. कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार कांग्रेस सरकार बनाए तो सिंहदेव सीएम बनें.

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