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लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में युवक को 18 साल की सजा, कोर्ट ने कहा- दोषी दया का पात्र नहीं

केरल

केरल के कोच्चि की एक स्पेशल कोर्ट ने लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने, सार्वजनिक रूप से जान से मारने की धमकी देने और उसके साथ दुर्व्यवहार करने के बाद किशोरी द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में 23 साल के युवक को 18 साल की सजा सुनाई है. विशेष पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) कोर्ट के जस्टिस के. सोमन ने शनिवार (5 अगस्त) को युवक सिबी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत अलग-अलग सजा सुनाई और उस पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

अभियोजक ने बताया कि दोषी 10 साल की सजा काटेगा, जो उसे दी गई सजाओं में अधिकतम है. अदालत के आदेश के मुताबिक सभी सजाएं एक साथ चलेंगी एर्नाकुलम के रहने वाले सिबी को आत्महत्या के लिए उकसाने, सार्वजनिक रूप से लड़की को जान से मारने की धमकी देने, उसके साथ दुर्व्यवहार करने और उस पर हमला करने समेत अन्य आरोपों के तहत सजा सुनाई गई.

2020 का है मामला
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोषी ने मार्च 2020 में 17 साल की किशोरी को स्कूल जाते समय रोकने का प्रयास किया और उसे जान से मारने की धमकी दी. अभियोजन पक्ष के वकीलों ने कहा कि आरोपी की ओर से जान से मारने की धमकी से डरकर उसी शाम लड़की ने खुद को आग लगा ली और कुछ दिनों बाद यहां एक निजी अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

कोर्ट ने कहा- दोषी दया का पात्र नहीं
अभियोजन पक्ष की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक पीए बिंधु और वकील सरुन मंगरा ने कहा कि अदालत ने पीड़िता के मृत्यु से पहले दिए गए बयान और उसके दोस्त द्वारा दिए गए बयान पर विचार किया और सिबी को दोषी ठहराते हुए उसे सजा सुनाई. अभियोजन पक्ष के मुताबिक अदालत ने कहा कि दोषी दया का पात्र नहीं है.

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