जांजगीर चांपा

जांजगीर चाम्पा: स्वास्थ्य विभाग और डाक्टरों की लापरवाही से एक व्यक्ति की कोविड से मौत

जांजगीर-चांपा
चाम्पा नीम चौक निवासी रामकृष्ण पिता नारायण सोनी उम्र 70 वर्ष को सर्दी, खांसी की समस्या थी, 16 सितम्बर को जांजगीर में एक चिकित्सक से परामर्श किये तो उन्होंने जिला चिकित्सालय में इलाज कराने को कहा, उसी रोज चाम्पा के एक निजी चिकित्सक डॉ मनीष श्रीवास्तवा के पास ले गए, तो वे अपने क्लीनिक में भर्ती कर उपचार करना प्रारंभ किये, उसी समय परिजनों ने निजी चिकित्सक से बोल कर उनका एक्सरे और सीटी स्कैन कराया जिसमे स्पष्ट रूप से कोविड संक्रमण दिखा रहा रहा था, फिर भी अपने क्लीनिक में रख कर इलाज कर रहे थे इस दौरान उनका आक्सीजन का स्तर घटने लगा, और उपचार सही नही हो रहा था, फिर 18 सितम्बर को परिजनों ने स्वयं से उनका कोविड आर टी पी सी आर टेस्ट कराया जिसमे 19 सितम्बर को उनकी रिपोर्ट पाजेटिव आई तो निजी चिकित्सक ने तुरंत जिला अस्पताल के लिए डिस्चार्ज कर दिया, वहां से जांजगीर ई टी सी टी में भर्ती कर इलाज चालू किये, लेकिन यहां भी डॉक्टरों और प्रबंधन की लापरवाही से उचित उपचार दो दिनों तक नही मिला और 21 सितम्बर को अपनी जवाबदारी से पल्ला झाड़ते हुए, परिजनों को सुबह मरीज को किसी दूसरे जगह ले जाने के लिए सिम्स रिफर कर दिया, इस दौरान मरीज को वेंटिलेटर लगा दिया गया था और उसी स्थिति में सिम्स रिफर कर दिया, जबकि वेंटिलेटर लगाने के बाद दूसरे जगह रिफर करना मरीज के जीवन से खिलवाड़ है जिसे यहां ई टी सीटी के प्रबंधन और डॉक्टरों ने कर दिया, अब परिजन इस स्तिथि में क्या करें, उसे सिम्स ले कर गए जहाँ भर्ती होने कुछ समय में ही आगामी उपचार के पहले मरीज की मौत हो गई।

ज्ञात हो की अभी सिम्स में वहां के कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। जिस वजह से वहां अभी किसी गम्भीर मरीज को उपचार नही मिल रहा है। फिर भी जांजगीर के स्वास्थ्य विभाग और चाम्पा के निजी चिकित्सक की पैसे कमाने की लालच और लापरवाही से मरीज की जान चली गई।

आखिर में कौन है इसके जिम्मेदार आज शासन कोविड की पूर्व तैयारियां कर रही है लेकिन जिसे हम भगवान का दूसरा रूप मानते है वे अपनी कर्तव्य को भुला कर अपनी मनमानी करते है। सभी संसाधन होने के बाद भी लोगों के जीवन से खिलवाड़। यह कैसी स्वाथ्य सुविधा है। जो लोगों को नही मिल पा रही है और अपनी जान गंवा रहे है।

 

आक्सीजन स्तर कम होने के बाद भी कर रहे थे उपचार
चाम्पा के डॉ मनीष श्रीवास्तवा ने पहले ही की घोर लापरवाही जब उन्हें पता चल गया था कि सी टी स्कोर 19/25 है और आक्सीजन स्तर कम हो रहा है तो जानबूझ कर अपने क्लिनिक में बैगर किसी संसाधन के उपचार जारी रखा और तीन दिनों बाद जब कोविड रिपोर्ट पाजेटिव आई तो आनन फानन में जिला में रेफर किया। उक्त डॉ ने नर्सिंग होम एक्ट के उलंघन किया जिस पर कार्यवाही की जानी चाहिए।

वही दूसरी ओर इ टी सी टी में गम्भीर मरीजो की उपचार की व्यवस्था नही है और स्तिथि बिगडऩे पर अति गम्भीर वेंटिलेटर में बाहर रेफर करना समझ से परे रहा। गरीब परिवार के मुखिया तो इसकी चपेट में आ कर अपनी जान गवां बैठा। जिसके जिम्मेदार आखिर कौन है? परिजन इस मामले को लेकर शिकायत एवं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने की तैयारी कर रहें है।

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