छत्तीसगढ़

भारत से 8000 km दूर Indonesia में रामायण की अनोखी कहानी, रावण से केवल श्रीराम नहीं बजरंग बली भी करते हैं युद्ध

रायगढ़

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया है. इस महोत्सव में देश- विदेश के रामायण मंडली प्रस्तुति दे रहे है. इसी बीच शुक्रवार को इंडोनेशिया से आए कलाकारों ने रामायण के सीता हरण और राम रावण की युद्ध की प्रस्तुति दी गई है. इसके अलावा इस मंचन में सबसे खास बात ये रही कि रावण से हनुमान भी युद्ध करते है. आखिर भारत से साढ़े 8 हजार किलोमीटर दूर इंडोनेशिया के बाली द्वीप में कैसे हिंदू संस्कृति का इतना प्रभाव है! ये आपको समझते है.

आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे
दरअसल भारत से लगभग साढ़े आठ हजार किलोमीटर की दूरी पर बसे इंडोनेशिया (Indonesia) के बाली द्वीप (Bali island) में भी किसी लड़की का नाम पद्मा हो सकता है या फिर श्रीयानी हो सकता है यह सोचना भी हैरान कर देता है. लेकिन बाली द्वीप में ऐसा हो सकता है. 2000 साल पहले यहां भारतीय उपमहाद्वीप का सांस्कृतिक प्रभाव पड़ा और बाली ने भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को अपना लिया. बताया जाता है कि इंडोनेशिया के जावा द्वीप के काकवीन रामायण और बाली द्वीप के रामायण प्रमुख हैं. यह भट्टी कवि के काव्य से प्रेरित है. बाली द्वीप में भारतीय सभ्यता स्थानीय प्रभाव हैं. जानकार मानते हैं कि इस पर दक्षिण भारत का प्रभाव अधिक है. इसलिए इनकी भावमुद्रा दक्षिण के कत्थककली कलाकारों जैसी है.

हनुमान जी और लंकापति रावण का युद्ध
रामायण महोत्सव में इंडोनेशिया की प्रस्तुति बहुत खास रहा क्योंकि प्रस्तुति के दौरान अशोक वाटिका के दृश्य में हनुमान(Hunuman) जी मुद्रिका लेकर जाते हैं. हनुमान जी ने लंका दहन किया और भयंकर ऊर्जा से लंका का नाश किया. हनुमान जी मुद्रिका श्रीराम को दिखाते हैं. आखिर चरण में राम रावण युद्ध होता है. लक्ष्मण राम के हाथों धनुष देते हैं. यहां यह रोचक प्रसंग भी देखने को मिला कि हनुमान जी भी रावण के साथ युद्ध कर रहे हैं. राम और सीता फिर से एक होते हैं.इसके साथ इस कथा में ये भी खास रहा कि रामायण प्रस्तुति में भगवान श्रीराम का यह चरित्र एक महिला कलाकार श्रीयानी ने निभाया, जो बाली द्वीप की रहने वाली हैं.

इंडोनेशिया में लोगों के नाम भारतीय कैसे?
वाल्मीकि की रामायण कथा बाली द्वीप में आज ही उसी तरह से सुनी सुनाई जाती है और स्थानीय संस्कृति के अनुरूप इसका मंचन किया जाता है.राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के मौके पर बाली से आए दल की सदस्य ने बताया कि मेरा नाम पद्मा है हमारे यहां बिल्कुल वैसे ही पूजा होती है जैसे भारत में होती है. हमारे यहां भी लोग मंदिर जाते हैं और हम सब भगवान राम के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं. बाली से ही आई श्रीयानी ने बताया कि लक्ष्मी जो विष्णु जी की पत्नी है उनकी विशेष पूजा बाली द्वीप में होती है और इसी वजह से बहुत सारी लड़कियों के नाम श्री से हैं जैसे श्रीयानी या पदमा.

इंडोनेशिया के लोग श्रीराम को क्यों पसंद करते हैं?
श्रीयानी ने बताया कि उनका दल राम कथा केवल इंडोनेशिया में ही नहीं सुनाई जाती, इसका मंचन सिंगापुर, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका में भी अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं.श्रीयानी ने बताया कि उन्हें रामकथा इसलिए अच्छी लगती है क्योंकि श्रीराम हमेशा अपनी पत्नी सीता का ध्यान रखते हैं. जब उनका अपहरण होता है तब वह उन्हें वापस लाने लंका तक चले जाते हैं लंका में पुल का निर्माण करते हैं.श्रीयानी ने वस्त्र दिखाते हुए कहा कि देख लीजिए, सालों से इसी तरह के वस्त्र रामकथा में पहने जा रहे हैं और इन वस्त्रों की विशेषता यह है कि ऐसे ही परिधान हमारे मंदिरों में भी देवताओं ने धारण किए हैं.

भगवान की मूर्ति की तरह मुकुट होते है
श्रीयानी ने अपने मुकुट की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इसे देखिए, यह वैसा ही है जैसे बाली के मंदिरों में बनी मूर्तियों में दिखता है. फिर उन्होंने बताया कि यह मुकुट दुकानों में बिकते हैं.श्रीयानी ने बताया कि वह पहली बार भारत आई हैं.यहां आकर बहुत अच्छा लगा.यह श्रीराम का देश है. मुझे बताया गया कि रामकथा में वर्णित अरण्यकांड का स्थल दंडकारण्य ही है.यह छत्तीसगढ़ ही है जहां मैं आई हूं.

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