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‘भारत से माफी मांगो’, मुइज्जू पर भड़के मालदीव के नेता, कर दी ऐसी मांग

नई दिल्ली

चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू की सरकार के खिलाफ मालदीव का विपक्ष लगातार हमलावर होता जा रहा है. अब मालदीव जम्हूरी पार्टी (JP) के नेता कासिम इब्राहिम ने मांग की है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों से माफी मांगें. मालदीव के एक डिजिटल समाचार आउटलेट वॉयस ऑफ मालदीव की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी नेता इब्राहिम ने कहा कि मुइज्जू को पड़ोसी भारत के साथ रिश्ते खराब नहीं करने चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘किसी भी देश के संबंध में, खासकर जब वो पड़ोसी हो, हमें ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए जो रिश्तों को प्रभावित करे. देश के प्रति हमारे कुछ कर्तव्य हैं, जिस पर विचार किया जाना चाहिए. राष्ट्रपति सोलिह (पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह) ने इस पर विचार किया था और इंडिया आउट कैंपेन पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक राष्ट्रपति आदेश जारी किया था. अब यामीन (मुइज्जू के गुरु पू्र्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन), जिन्होंने इंडिया आउट कैंपेन में मुइज्जू का साथ दिया था, वो सवाल कर रहे हैं कि मुइज्जू ने सोलिह के राष्ट्रपति रहते हुए दिए गए फैसले को रद्द क्यों नहीं किया.’

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उन्होंने कहा आगे, ‘इंडिया आउट कैंपेन पर प्रतिबंध लगाने वाले डिक्री को रद्द नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे केवल देश को नुकसान होगा. ऐसा नहीं किया जा सकता है. मैं मुइज्जू से कहूंगा कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही, मैं राष्ट्रपति मुइज्जू से भी आग्रह करता हूं कि चीन यात्रा के बाद अपनी टिप्पणियों को लेकर वो भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी से औपचारिक रूप से माफी मांग लें.’

पिछले साल की शुरुआत में, मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने एक डिक्री पर हस्ताक्षर किया था जिसमें कहा गया था कि विपक्ष यानी मुइज्जू और उनकी पार्टी का ‘इंडिया आउट’ अभियान ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ है. डिक्री सुरक्षा एजेंसियों को कैंपेन के बैनर हटाने और विपक्षी दलों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संवैधानिक अधिकार देता है.

‘इंडिया आउट के एजेंडे पर सत्ता में आए मुइज्जू’

मुइज्जू मालदीव की सत्ता में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन के तहत आए और उनका दावा है कि द्वीप देश में मौजूद भारत की सेना आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करती है. इस अभियान के जरिए मुइज्जू का मूल उद्देश्य मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता राष्ट्रपति सोलिह, जिन्हें भारत का करीबी माना जाता है, को सत्ता से हटाकर खुद राष्ट्रपति बनना था.

मुइज्जू अपने मंसूबे में कामयाब हुए और अब वो भारत के खिलाफ जाकर चीन के साथ अपने रिश्तों को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. जनवरी की शुरुआत में ही वो 5 दिनों के लिए चीन के आधिकारिक दौरे पर गए थे. उनके चीन दौरे के बीच ही भारत और मालदीव में राजनयिक विवाद छिड़ गया था जब उनके तीन उप मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी.

दरअसल, पीएम मोदी ने पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने मालदीव दौरे की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थी जिस पर मुइज्जू सरकार के उप मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की और लक्षद्वीप को मालदीव से कमतर दिखाने की कोशिश की. उन्होंने भारत में स्वच्छता पर भी भद्दे कमेंट किए जिसे लेकर खूब विवाद हुआ.

सोशल मीडिया पर लोगों ने मालदीव का बहिष्कार करना शुरू किया जिसे देखते हुए मंत्रियों को अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा. विवाद बढ़ता देख मुइज्जू सरकार ने अपने उप मंत्रियों की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया और मंत्रियों का निलंबन हो गया था. इसे लेकर दोनों देशों में राजनयिक स्तर पर तनाव बढ़ गया था.

सैनिकों की वापसी को लेकर मालदीव ने भारत को दिया है अल्टीमेटम

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने देश से भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर 15 मार्च का अल्टीमेटम दे दिया है. मालदीव के विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और मालदीव 14 जनवरी को द्वीप राष्ट्र से भारतीय सैनिकों की तेजी से वापसी पर सहमत हुए हैं.

भारत के लगभग 70 सैनिक डोर्नियर 228 समुद्री गश्ती विमान और दो एचएएल ध्रुव हेलीकॉप्टरों के साथ मालदीव में तैनात हैं.

मालदीव में भारतीय सैनिकों को हटाना राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मुइज्जू की पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा था. सत्ता में आने के बाद मुइज्जू ने भारत विरोधी रुख को बरकरार रखा है और वो चीन के करीब होते जा रहे हैं. भारत और चीन दोनों ही देशों ने छोटे से देश मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किया है और दोनों ही देशों में मालदीव में अपने प्रभाव को बढ़ाने को लेकर प्रतिस्पर्धा है.

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