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सरकार से किसान नेताओं की टूटी वार्ता, अब NDA नेताओं का करेंगे घेराव, 21 को दिल्ली कूच, जानिए आगे का प्लान

नई दिल्ली

किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत एक बार फिर टूट गई है. सरकार ने किसानों के सामने MSP पर कथित रूप से 5 साल के कॉनट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया था, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया है. सरकार के प्रस्ताव को लेकर शंभू बॉर्डर पर किसानों और सरकार के नुमाइंदों के बीच अहम बैठक हुई, जिसमें सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया.

अब किसान 21 फरवरी को दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि फिलहाल सरकार के साथ कोई मीटिंग नहीं होगी, लेकिन वह बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं. आंदोलन के बीच किसान पंजाब में BJP के तीन बड़े नेताओं का घेराव कर रहे हैं. लेकिन अब किसानों ने पूरे NDA के नेताओं का घेराव करने का ऐलान किया है.

MSP को लेकर राहुल गांधी ने ट्वीट किया है. उन्होंने कहा है कि जबसे कांग्रेस ने MSP की कानूनी गारंटी देने का संकल्प लिया है, तबसे बीजेपी के प्रचारतंत्र ने MSP पर झूठ की झड़ी लगा दी है. उन्होंने कहा,’यह बात झूठ है कि MSP की कानूनी गारंटी दे पाना भारत सरकार के बजट में संभव नहीं है. जबकि सच तो यह है कि CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर 21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है.’

उन्होंने आगे कहा,’जिस देश में 14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों. 1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? MSP की गारंटी से कृषि में निवेश बढ़ेगा, ग्रामीण भारत में डिमांड बढ़ेगी और किसान को अलग-अलग किस्म की फसलें उगाने का भरोसा भी मिलेगा, जो देश की समृद्धि की गारंटी है. जो MSP पर भ्रम फैला रहे हैं, वो डॉ. स्वामीनाथन और उनके सपनों का अपमान कर रहे हैं. MSP की गारंटी से भारत का किसान, बजट पर बोझ नहीं, GDP ग्रोथ का सूत्रधार बनेगा.’

किसानों के विरोध पर शिरोमणि अकाली दल (SAD) सांसद हरसिमरत कौर बादल का कहना है,’ यह दुखद है कि किसानों को एक बार फिर सड़कों पर उतरना पड़ा. उन्होंने आगे कहा कि जब आपने सरकार बनाई थी तो पंजाबियों से वादा किया था कि 23 फसलों पर MSP देंगे, चाहे केंद्र सरकार भी ऐसा ही करे. उन्होंने कहा,’मैं किसान संगठनों से कहती हूं कि केंद्र से तो मांग करो, लेकिन राज्य सरकार से भी मांग करते रहना चाहिए.’

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट है. सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का फॉर्मूला तय करे. सरकार के प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला है.डल्लेवाल ने कहा कि हमने तय किया है कि सरकार की ओर से जो प्रस्ताव दिया गया है, उसमें किसी तरह की स्पष्टता नहीं है. सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, उसका नाप-तोल किया जाए तो उसमें कुछ नजर नहीं आ रहा है. हमारी सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये का ताड़ का तेल (Palm Oil) बाहर से खरीदती है लेकिन अगर इतनी धनराशि खेती के लिए तिलहन के लिए तय की जाती तो किसानों को इससे बहुत फायदा होता.

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