रायपुर

छत्तीसगढ़ में फिर ईडी की रेड: CM के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, दो OSD आशीष वर्मा, मनीष बंछोर और विजय भाटिया के घर छापा

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छत्तीसगढ़ में फिर से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के छापे पड़े हैं। रायपुर में मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के देवेंद्र नगर स्थित निवास में दबिश दी गई है। ओएसडी आशीष वर्मा और मनीष बंछोर के भिलाई-3 निवासपर भी कार्रवाई चल रही है। कारोबारी विजय भाटिया के घर भी जांच चल रही है। सीएम भूपेश ने इस कार्रवाई को पीएम मोदी की ओर से दिया गया बर्थडे गिफ्ट बताया है। मुख्यमंत्री का आज जन्मदिन है आज ही ईडी का छापा पड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें ट्वीट कर बधाई और शुभकामनाएं दी है। वरिष्ठ कांग्रेसी पवन खेड़ा ने भी ट्वीट कर भाजपा पर रेड करवाने का आरोप गया है।

बर्थडे पर मिला ईडी का गिफ्ट- भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ में ईडी की रेड पर सीएम ने ट्वीट कर लिखा है कि प्रधानमंत्री जी और अमित शाह जी मेरे जन्मदिन के दिन आज मेरे राजनीतिक सलाहकार और मेरे ओएसडी सहित करीबियों के घर ईडी भेजकर मुझे तोहफा दिया है उसके लिए बहुत आभार।

भाजपा करवा रही रेड, हार से घबराई- पवन खेड़ा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेरा ने भी ट्वीट कर निशाना साधा है। खेरा ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ में हार से घबराई भाजपा रेड्स करवा रही है। पिछले कुछ दिनों से कई सर्वेज में भाजपा की भारी हार दिखाई जा रही है। इसलिए छापे पड़वाए जा रहे हैं।

दो ओएसडी के घर छापा

मनीष बंछोर, आशीष वर्मा के भिलाई तीन निवास और कारोबारी विजय भाटिया के नेहरू नगर ईस्ट स्थित मकान में सुबह से ईडी की टीम दस्तावेजों की जांच कर रही है। मकान के अंदर और बाहर सीआरपीएफ जवानों को तैनात किया गया है।

कौन हैं विनोद वर्मा

विनोद वर्मा मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते हैं। राजनीतिक सलाहकार हैं। रायपुर से लेकर दिल्ली और बीबीसी लंदन में पत्रकारिता कर चुके विनोद वर्मा कांग्रेस पार्टी में प्रशिक्षण विशेषज्ञ भी रहे हैं।

मनीष बंछोर, आशीष वर्मा के बारे में जानें

मनीष बंछोर भिलाई स्टील प्लांट के कर्मी है, और सीएम के ओएसडी हैं। इनका घर भिलाई तीन में पुरानी भिलाई थाने के पीछे है। वहीं आशीष वर्मा का घर पदुम नगर में मुख्यमंत्री निवास के पास ही है। ये भी सीएम के ओएसडी हैं। विजय भाटिया का घर भिलाई नेहरू नगर ईस्ट में है। विजय फर्नीचर व्यवसायी हैं। कांग्रेस सरकार बनने के बाद बंगले में गार्ड दिए गए हैं। सत्ता पक्ष के करीबी माने जाते हैं।

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