कोलकाता रेप-मर्डर केस: ट्रेनी डॉक्टर का फोटो-वीडियो हटाने का आदेश, सूचना-प्रसारण मंत्रालय का फरमान
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सभी सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक एवं डिजीटलमीडिया प्लेटफॉर्म से आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की मृत डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो हटाने का आदेश दिया था. अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शुक्रवार को आदेश जारी कर मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफार्म से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने की अपील की है. सूचना प्रसारण मत्रालय की ओर से जारी आदेश में सभी प्राइवेट सेटेलाइट टीवी चैनल्स, सोशल मीडिया और डिजीटल मीडिया से मृतका की पहचान, फोटो और वीडिया हटाने के लिए कहा गया है.
बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में नौ अगस्त को लेडी डॉक्टर का शव मिला था. बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप और मर्डर का खुलासा हुआ था. इस मामले में कोलकाता पुलिस ने एक आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया है.
लेकिन लेडी डॉक्टर की रेप और हत्या के आरोपी को सजा देने और न्याय की मांग पर आंदोलन और प्रदर्शन चल रहा है. इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की है.
फोटो, पहचान और वीडिया हटाने का निर्देश
सूचना प्रसारण मंत्रालय के ओएसडी (बीसी) अनुभव सिंह द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि 20 अगस्त, 2024 को किन्नोरी घोष बनाम केंद्र सरकार व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था, उस आदेश और निर्देश को सख्ती से पालन किया जाए.
20 अगस्त को आरजी कर मामले की सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा था कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता की पहचान का खुलासा करना निपुण सक्सेना मामले में पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
सोशल मीडिया पर ट्रेनी डॉक्टर की पहचान उजागर करने के खिलाफ वकील किन्नोरी घोष और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि यह अदालत निषेधाज्ञा आदेश जारी करने के लिए बाध्य है, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया ने मृतका की पहचान और शव की तस्वीरें प्रकाशित करना शुरू कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फोटोग्राफ और वीडियो क्लिप पूरे मीडिया में हैं. यह बेहद चिंताजनक है. निपुण सक्सेना (मामले) की तरह अदालत के फैसले हैं कि यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों का नाम प्रकाशित नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उक्त घटना मामले में मृतका का फोटो, पहचान और वीडियो क्लिप सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म और इलेक्ट्रानिक मीडिया से हटा दिये जाएं.
बता दें कि निपुण सक्सेना मामले में अपने 2018 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कोई भी व्यक्ति पीड़ित का नाम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया आदि में प्रिंट या प्रकाशित नहीं कर सकता है या यहां तक कि किसी भी तथ्य का दूर-दूर तक खुलासा नहीं कर सकता है.