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रायपुर

स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रदर्शन पर सरकार ने लगाया एस्मा, विरोध में आज संविदाकर्मी करेंगे जल सत्याग्रह

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छत्तीसगढ़ सरकार ने इमरजेंसी सर्विसेस को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों पर एस्मा लगा दिया है. यानी अब प्रदेश में इमरजेंसी सर्विसेस के तहत कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारी किसी भी तरह के धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकेंगे. आदेश का पालन नहीं करने पर हड़ताल पर गए कर्मचारियों पर नौकरी से निकाले जाने तक की कार्रवाई हो सकती है.

राज्य शासन के गृह विभाग द्वारा मंत्रालय से 11 जुलाई को इस संबंध में जारी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है.स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ लगाया एस्मा: राज्य शासन के गृह विभाग द्वारा मंत्रालय से आज जारी आदेश के अनुसार, यह आदेश ‘लोक स्वास्थ्य’ से संबंधित सभी कार्यों और स्वास्थ्य सुविधाओं की अत्यावश्यक सेवाओं में कार्यरत डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी तथा एम्बुलेंस सेवाओं में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए जारी हुआ है. अब छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से संबंधित आवश्यक सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी कार्य करने से इंकार नहीं कर सकेंगे. छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 की धारा 4 की उपधारा 1 तथा 2 में प्रदत्त शक्तियों के तहत यह आदेश दिया है.

एस्मा लगाने के विरोध में जल सत्याग्रह: राज्य सरकार के इस आदेश के खिलाफ संविदा कर्मचारियों का गुस्सा फूटा है. कर्मचारी संगठन का कहना है कि, संविदा कर्मचारियों के हड़ताल को तोड़ने के लिए सरकार ने एस्मा लागू किया है. इस आदेश के खिलाफ अब संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने आज जल सत्याग्रह करने का ऐलान किया है. सभी कर्मचारी नवा रायपुर के तूता धरना स्थल में संविदा कर्मचारियों के साथ जल सत्याग्रह करेंगे.

अपनी मांगे पूरी कराने की कोशिश: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही माह रह गए हैं. जिसके चलते प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन के चलते कई विभागों के काम ठप पड़ गए हैं. जिससे आम जनता के साथ ही सरकारी कार्य भी बाधित हो रही है. प्रदेश में इमरजेंसी सर्विसेस बाधित ना हो, इसे ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाया है.क्या है एस्मा एक्ट: एस्‍मा यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट. इसे हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है. यह कानून तब इस्तेमाल किया जाता है, जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं. इस कानून को हड़ताल को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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