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छत्तीसगढ़

दिल्ली शराब घोटाला: ‘AAP’ सांसद संजय सिंह को बड़ी राहत, SC से छह महीने बाद मिली जमानत

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि अगर सिंह को जमानत पर रिहा किया जाता है तो एजेंसी को कोई आपत्ति नहीं है.

दिल्ली शराब नीति से संबधित घोटाले में ‘आप’ सांसद 6 महीने से जेल में थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संजय सिंह 6 महीने जेल में बिता चुके हैं. उनके खिलाफ दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है. इसका परीक्षण मुकदमे के दौरान किया जा सकता है.

संजय सिंह की मां ने SC का जताया आभार
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘आप’ सांसद संजय सिंह को जमानत दिए जाने पर उनकी मां राधिका सिंह ने कहा, ‘हम इंतजार कर रहे थे. हम सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हैं. मेरा बेटा निर्दोष है. उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था. लेकिन मुझे खुशी है कि जमानत मिल गई है.

लोकसभा चुनाव से पहले संजय सिंह को जमानत
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और पीबी वराले की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने ‘आप’ सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि नियम और शर्तें ट्रायल कोर्ट द्वारा तय की जाएंगी. ईडी द्वारा दी गई रियायतों को मिसाल नहीं माना जाएगा. संजय सिंह राजनीतिक गतिविधियां जारी रख सकते हैं. शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि मामले की योग्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ईडी से पूछा कि क्या उसे दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में ‘आप’ नेता संजय सिंह की और हिरासत की आवश्यकता है? जबकि इस मामले में उनसे कोई पैसा बरामद नहीं हुआ है. शीर्ष अदालत ने ईडी के वकील से कहा कि संजय सिंह पहले ही 6 महीने जेल में बिता चुके हैं. उनके खिलाफ 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने के आरोप का परीक्षण मुकदमे के दौरान किया जा सकता है.

‘आप’ नेता संजय सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उनका मुवक्किल छह महीने से अधिक समय से जेल में है. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘निर्देश लीजिए, क्या सचमुच आपको 6 महीने के बाद उसकी जरूरत है? यह ध्यान में रखें कि भूमिका का श्रेय उन्हें दिया गया है, जो मुकदमे का विषय होगा’.

पीठ ने कहा कि पहले 10 बयानों में संजय सिंह का कोई निहितार्थ नहीं है. न्यायमूर्ति दत्ता ने एसवी राजू से कहा, ‘हमें धारा 45 (पीएमएलए) के संदर्भ में यह रिकॉर्ड करना आवश्यक है कि प्रथम दृष्टया उसने कोई अपराध नहीं किया है. इसका मुकदमे पर अपना प्रभाव हो सकता है. आपने उसे छह महीने तक हिरासत में रखा है, कृपया निर्देश प्राप्त करें कि आगे हिरासत में रखना आवश्यक है या नहीं’.

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘सच्चाई यह है कि दिनेश अरोड़ा ने शुरू में संजय सिंह को फंसाया नहीं था, लेकिन बाद में 10वें बयान में उन्होंने ऐसा किया. उनके अनुवाद (वर्जन) में थोड़ा बदलाव है. जब हम धारा 45 और 19 (पीएमएलए) को देखते हैं, तो हमें इन कारकों को ध्यान में रखना होगा. जब वह गवाह बॉक्स में आता है तो इसका परीक्षण किया जाना चाहिए’.

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