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धोखाधड़ी की आरोपी महिला ने मांगी सऊदी जाकर उमराह करने की इजाजत, कोर्ट ने दिया ये फैसला

इलाहाबाद

भारतीय कोर्ट में जब किसी गवाह को कटघरे में खड़ा किया जाता है तो सबसे पहले उनके सामने धार्मिक ग्रंथ रखी जाती है, जिस पर हाथ रख कर वो कसम खाते हैं कि हम जो भी कहेंगे सच कहेंगे. इसी बात से एक उदाहरण मिलता है कि भारत में धर्म कितना महत्व रखता है. जहां संगीन अपराध में भी एक भी शब्द बोलने से पहले आरोपी का हाथ धार्मिक ग्रंथ पर रखवाया जाता है और उम्मीद की जाती है कि वो जो कहेंगे सच कहेंगे.

ऐसे में हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महिला को धार्मिक यात्रा के लिए सऊदी अरब जाने की इजाजत मांगने पर फैसला सुनाया. महिला पर धोखाधड़ी के मामले को लेकर केस दर्ज थे और महिला ने पहले लखनऊ और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट से उमराह पर जाने की इजाजत मांगी थी.

कोर्ट ने सुनाया फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी महिला रुकसाना खातून को जिस पर धारा 419, 420, 467, 468, 424, 275 and 34 के तहत आपराधिक मामले दर्ज है, उसको कोर्ट ने धार्मिक यात्रा उमराह पर जाने की इजाजत दे दी है. मुस्लिम धर्म में हज सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा होती है और उसके बाद उमराह को छोटी तीर्थयात्रा के नाम से जाना जाता है. उमराह 15 दिन की यात्रा होती है, जो पूरे साल में किसी भी समय अदा किया जा सकता है.

कोर्ट ने क्या कहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते महिला को उमराह करने जाने की इजाजत दी. कोर्ट ने कहा उमराह करने के लिए मुस्लिम धर्म में सबसे पाक जगह जाना होता है, उमराह को छोटी तीर्थयात्रा कहा जाता है. न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘उमराह’ मुसलमानों की सबसे पाक जगह की यात्रा हैं, इसमें तीर्थयात्री मक्का जाते हैं जिसको अल्लाह का घर कहा जाता है. बेंच ने कहा इस यात्रा में मुस्लिम अल्लाह की इबादत के लिए मक्का जाते हैं.

लखनऊ कोर्ट में की थी मांग
आरोपी रुखसाना खातून ने पहले अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई, लखनऊ में उमराह पर जाने की ख्वाहिश को लेकर याचिका दाखिल की थी, लेकिन उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया गया था. लखनऊ कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज करते हुए कहा, ‘हज’ करना और ‘उमराह’ पर जाना धार्मिक नजरिए से जरूरी काम नहीं है. दरअसल, मुस्लिम धर्म में कुछ शर्तों के साथ ही हज फर्ज है.

इन शर्तों के साथ कोर्ट ने दी इजाजत
लखनऊ कोर्ट के फैसले को रुखसाना खातून ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उसे ‘उमराह’ करने के लिए विदेश जाने की अनुमति दे दी, बशर्ते कि वह अपना बांड और जमानत राशि जमा करे जोकि परिवार के हर सदस्य के लिए 5 लाख रुपये तय की गई थी. साथ ही कोर्ट ने उनसे ‘उमराह’ पर जाने से पहले एक हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें कहा गया कि अगर मुकदमे के दौरान उनकी गैर मौजूदगी में अभियोजन पक्ष ने कोई सबूत पेश किए तो वह मुकदमे के दौरान या उसके बाद कोई आपत्ति नहीं उठाएंगी.

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