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कोसी का कोहराम… गांव बने टापू-छतों पर अटके लोग, नेपाल से बिहार तक 2008 से भी बड़ी तबाही!

नई दिल्ली

घर, सड़क, पुल और ऊंची इमारतों को मानो पानी ने लील लिया हो. लाखों जिंदगियां अचानक से बेसहारा हो गई हैं. आंख की जद तक चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी है, जैसे ये कोई सूखा इलाका नहीं बल्कि किसी दरिया के बीच का कोई हिस्सा हो. ये नजारा इन दिनों बिहार के करीब 13 जिलों का है जहां नेपाल के रास्ते आ रही नदियों ने तबाही मचा रखी है. तबाही हर दिन और भयावह होती जा रही है. यह जलप्रलय देखकर लोगों को अब 1968 और 2008 की भयावह यादें ताजा होने लगी हैं.

2008 में आई थी तबाही…

इन दिनों गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान और गंगा समेत कई नदियां ऊफान पर हैं. लाखों लोगों की जिंदगी मुसीबत में है. लोगों को 2008 वाला डर सताने लगा है. दरअसल, बिहार में 2008 में आई तबाही के निशान अभी भी हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2008 में भयानक बाढ़ से 526 लोगों की मौत हुई थी. कई किसानों के खेत हमेशा के लिए बर्बाद हो गए थे, क्योंकि खेतों में बालू भर गया था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि तब नेपाल की ओर से 2-3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था.

इस बार क्यों है बड़ा खतरा

इस बार खतरा इसलिए ज्यादा बताया जा रहा है क्योंकि कोसी नदी पर बीरपुर (नेपाल) बैराज से 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो 56 वर्षों में सबसे अधिक है. वहीं 2008 के मुकाबले करीब 3 गुना है. वहीं, ये आंकड़ा 1968 में 7.88 लाख क्यूसेक के बाद सबसे बड़ा है. वहीं, गंडक पर वाल्मिकीनगर बैराज से 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जो 2003 के बाद सबसे अधिक है.

13 जिले बुरी तरह प्रभावित

अधिकारियों ने बताया कि बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर सहित गंगा के किनारे स्थित लगभग 13 जिले पहले से ही बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं और मूसलाधार बारिश के बाद नदियों के बढ़ते जलस्तर से निचले इलाकों में रहने वाले लगभग 13.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. प्रभावित जिलों से बड़ी संख्या में लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.

कई तटबंध टूटे, पावर प्लांट में घुसा पानी

हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुजफ्फरपुर के कटरा स्थित बकुची पावर प्लांट में पानी घुस गया है. इसके पीछे की वजह कई नदियों के तटबंधों का टूटना है. कई सड़कें जलमग्न हो गई हैं. पुल बह गए हैं. लोगों के घरों में पानी घुस गया है. गांव के गांव पानी में समा गए हैं. लोगों को दूसरे जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है.

90 इंजीनियरों की टीम कर रही 24 घंटे काम

जल संसाधन विभाग की टीमें 24×7 आधार पर तटबंधों की निगरानी कर रही हैं ताकि किसी भी कटाव या खतरे का पता चलते ही त्वरित कार्रवाई की जा सके. विभाग के तीन चीफ इंजीनियर, 17 एक्जक्यूटिव इंजीनियर, 25 असिस्टेंट इंजीनियर और 45 जूनियर इंजीनियर 24×7 आधार पर काम कर रहे हैं और हाई अलर्ट पर हैं. राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

एनडीआरएफ भी तैनात

हालात को सामान्य करने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार काम कर रही हैं. जानकारी के अनुसार, इस बार बचाव कार्य को लेकर पहले ही अलर्ट मोड पर काम हो रहा था. लोगों को आगाह किया गया था. स्थिति पर नजर रखी जा रही थी. उधर, राहत की खबर आई है कि नेपाल में बारिश थम गई है, जिससे बिहार में भी हालात जल्द ही सामान्य हो सकते हैं.

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