भूपेश बघेल और चैतन्य को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा अपडेट सोमवार को सामने आया है. सीबीआई / ED की आगे जांच करने की शक्तियों के खिलाफ बघेल द्वारा लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. एससी ने दोनों को हाईकोर्ट जाने की छूट दी है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को अंतरिम राहत पर जल्द सुनवाई करने को कहा है. इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली है.
भूपेश बघेल की याचिकाओं के मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने बड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘जब हाईकोर्ट है तो हम पर ही सारा बोझ क्यों डाला जाए. आप एक ही याचिका में पूरी राहत नहीं मांग सकते हैं. हमें तथ्यों की सुनवाई क्यों करनी चाहिए? हाईकोर्ट किस काम के लिए हैं? यह असामान्यता केवल संपन्न लोगों के मामलों में ही हो रही है. फिर गरीब लोग कहाँ जाएंगे.’
सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और अब विधायक भूपेश बघेल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने गिरफ्तारी से सुरक्षा और पीएमएलए और सीआरपीसी के प्रावधानों, खासकर ‘आगे की जांच’ से संबंधित प्रावधानों को चुनौती देने की मांग की थी. कोर्ट ने शुरू में कहा कि वह पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती देने और अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ एक ही याचिका में रिट याचिका दायर नहीं कर सकते हैं. हालांकि, PMLA की धारा 44 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी. कहा कि वे 6 अगस्त को विशेष पीठ के सामने लंबित पीएमएलए पुनर्विचार याचिका के साथ इस पर भी विचार करेंगे.
याचिका में ED की जांच करने की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने बघेल की याचिकाओं पर सुनवाई की है. यह मामला 2161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसकी जांच सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियां कर रही हैं. ईडी की जांच के अनुसार, इस घोटाले में 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने से भारी गड़बड़ी की गई है.




