संपत्ति की लालच में जब कोई अपना ही अंतिम यात्रा में साथ छोड़ दे, तब बेटियों ने अपने पिता को कंधा देखकर किया अंतिम संस्कार
जांजगीर चांपा: उम्र के अंतिम पड़ाव में एक दिन सबको खाली हाथ ही ऊपर जाना पड़ता है, लेकिन कुछ पैसों और संपत्ति की लालच में जब कोई अपना ही अंतिम यात्रा में साथ छोड़ दे तो मानवता जरूर शर्मसार होने लगती है, कुछ इसी तरह की अजीबो गरीब कहानी जांजगीर चांपा जिले के बिर्रा थाना क्षेत्र के घिवरा गांव में सामने आया. जहां अपनो ने साथ छोड़ा लेकिन बेटियां भी बेटों से कम नहीं होती कुछ इसी तरह अपने फर्ज को पूरा करते हुए अपने पिता को कंधा दिया हैं.
आपको बता दें कि घीवरा गांव में रुपयों की लालच में एक 80 वर्षीय वृद्ध किसान सीताराम कश्यप की परिवार वालों ने साथ छोड़ दिया, सीताराम कश्यप काफी दिनों से अस्वस्थ था, लंबी बीमारी की वजह से गुरुवार की सुबह उसका निधन हो गया, शव घर पर रखा रहा, परिवार के लोगों ने मामले की सूचना उनकी चार बेटियों को दी, सीताराम का बेटा नहीं था. सूचना मिलने पर सभी बेटियां अपने पहुंचे है. इसलिए उसकी देखभाल परिवार वालों ने इसी शर्त पर कर रहे थे कि सीताराम के निधन के बाद उसकी संपत्ति परिवार वालों को दी जाएगी, बेटियों ने परिवार वालों की बातों पर राजी हुए लेकिन जब गुरुवार की सुबह जब अंतिम संस्कार करने की बात आई तो परिवार वालों ने कहा कि सीताराम की संपत्ति को उनके नाम किया जाए.
तब बेटियां परिवार वालों की शर्त मान लिए, लेकिन परिवार वालों का कहना था कि उनकी संपत्ति को तुरंत उनके नाम किया जाए, इस दौरान दोनों पक्षों में बहस चलता रहा, और अंत में सीताराम की बेटियां उनकी शर्त नहीं मानी और खुद ब खुद अंतिम संस्कार करने की मन में ठान ली, और चारों बहनों ने मिलकर अपने पिता को कंधा देकर अंतिम संस्कार किया है. सीताराम की पांचों बेटियां निर्मला, कमलाबाई, शकुंतला और रमतला ने अपने पिता के अर्थी को कांधा देकर श्मशान घाट ले गई और उन्होंने बेटों की तरह मृतक कर्म करते हुए ना केवल अर्थी को कांधा दिया बल्कि मुक्तिधाम पहुंचकर विधि विधान से क्रियाकर्म करते हुए पिता की चिता को मुखाग्नि भी दी.