बहू से दुष्कर्म के दोषी चाचा ससुर को 10 साल की सजा, अदालत ने रामचरित मानस का श्लोक पढ़ सुनाया फैसला

जशपुर: छत्तीसगढ़ के वनांचल जिले जशपुर में एक शख्स ने अपनी बहू के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया. इस केस में जशपुर जिला अदालत ने तीन साल के अंदर फैसला सुनाया है. पूरी घटना 13 अगस्त 2022 की है. जशपुर जिला कोर्ट ने इस केस में फैसला सुनाते वक्त रामचरित मानस के श्लोक को पढ़कर सुनाया. न्यायाधीश जनार्दन खरे ने कहा कि महिला की अस्मिता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अदालत ने दोषी चाचा ससुर को 10 साल सश्रम कारावास और 2 हजार रुपये अर्थदंड की कठोर सजा सुनाई. अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में उसे अतिरिक्त एक साल साधारण कारावास भुगतना होगा. कोर्ट ने यह फैसला 22 अगस्त 2025 को सुनाया.
रिश्तों की मर्यादा भंग करने वाला व्यक्ति समाज के लिए कलंक
कोर्ट में फैसला सुनाते हुए अपर सत्र न्यायाधीश जनार्दन खरे ने विशेष रूप से गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस के श्लोक को पढ़ा. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने रिश्तों की मर्यादा भंग करता है, वह केवल परिवार नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए कलंक है. ऐसे अपराधियों को कठोर सजा देना ही इंसाफ है.
जानिए कोर्ट में किस श्लोक को पढ़ा गया
अनुज बधू भगिनी सूत नारी, सुनु सठ कन्य सम ए चारी, इन्हहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि बधें कुछ पाप न होई. अदालत में पढ़े गए इस श्लोक का अर्थ है कि हे मूर्ख! छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्रवधू और कन्या ये चारों समान हैं. इन्हें जो भी बुरी दृष्टि से देखता है, उसका वध करना भी पाप नहीं है.
अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों और सबूतों का परीक्षण किया. दोष सही पाए जाने पर कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ कठोर सजा सुनाई. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराध परिवार और समाज दोनों की मर्यादा को चकनाचूर करते हैं. दोषियों को कठोर दंड देकर ही समाज में यह संदेश दिया जा सकता है कि स्त्रियों की गरिमा से खिलवाड़ करने वालों के लिए कोई नरमी नहीं होगी.



