16 साल की नाबालिग हुई गर्भवती, अधीक्षिका ने कराया गर्भपात; फिर ऐसे हुआ खुलासा

पखांजूर में कन्या छात्रावास में रह रहीं छात्राओं की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। छात्रावास में रह रही एक नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने के बाद अधीक्षिका ने इस बात की जानकारी न तो विभाग को दी और न ही इसकी सूचना पुलिस को दी गई, बल्कि अधीक्षिका ने नाबालिग को उसके घर भेज दिया, जहां पर उसका गर्भपात करा दिया गया। नाबालिग का गर्भपात कराने के बाद आरोपी की भी पहचान नहीं हो पाई है।
अधीक्षिका ने नाबालिग को वार्षिक परीक्षा में बैठने से रोका
नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने के बाद जब उसका पेट दिखने लगा तो अधीक्षिका छात्रा को छिपा कर रखा करती थी। ताकि इसके बारे में किसी को भी कुछ भी पता नहीं चल पाए। इसके लिए अधीक्षिका ने नाबालिग को वार्षिक परीक्षा में भी बैठने नहीं दिया था।
साथ ही इस दौरान उसने छात्रा को उसके घर भेज दिया। इसके बाद छात्रावास की छात्राओं के बीच इस बात को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थीं। फिर यहां से इस बात की जानकारी गांव के दूसरे लोगों को पता चली।
गांव वालों ने की विधायक से शिकायत
ग्रामीणों को जानकारी मिलने के बाद इसकी शिकायत उन्होंने विधायक विक्रम उसेंडी से की तब जाकर कहीं यह मामला बाहर आया। नाबालिग छात्रा के गर्भवती का मामला सामने आने के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मच गया था।
इस घटना के सामने आने के बाद शुक्रवार शाम तक पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। ग्रामीणों ने पूरे मामले में छात्रावास अधीक्षिका की लापरवाही को लेकर उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि जिले के एक गांव में बीते दो सालों से यहां पर कन्या आवासीय विद्यालय का संचालन हो रहा है। वर्तमान में इस स्कूल सह छात्रावास के भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। वहीं, सभी बालिकाएं हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई करती हैं, साथ ही उसी परिसर में माध्यमिक शाला भवन को छात्राओं के छात्रावास में बदल दिया गया है। सभी छात्राएं यहीं पर रहा करती थीं।
अप्रैल माह में सामने आई थी गर्भवती होने की बात
अप्रैल माह में यहां पर एक 16 साल की छात्रा के गर्भवती होने की बात सामने आई थी। जैसे-जैसे नाबालिग का गर्भ बढ़ने लगा था, धीरे-धीरे यह मामला सामने आने लगा था। जबकि, अधीक्षिका को इस बात की जानकारी होने के बावजूद उसने इसकी शिकायत विभाग या पुलिस में करने की बजाए आरोपी को बचाने का प्रयास किया और पूरे मामले को दबाने में जुट गई।
मामला बढ़ता देख अधीक्षिका ने नाबालिग को तभी उसके परिजनों के पास भेज दिया। परिजनों ने जिले से बाहर ले जाकर छात्रा का गर्भपात कर दिया। गांव स्तर पर इसकी चर्चा होने के कारण यह मामला सबके समक्ष आने में सफल रहा।
प्राचार्य को भी दी झूठी जानकारी
गांव में यह बात फैलने के बाद तत्कालीन प्राचार्य ने इस घटना की हकीकत जानने के लिए अधीक्षिका से इसको लेकर जानकारी लेनी चाही, लेकिन अधीक्षिका को पूरी बात मालूम होने के बावजूद प्राचार्य को कह दिया कि छात्रावास में कोई भी बालिका गर्भवती नहीं है।
अधीक्षिका ने बनाया गांव में ही घर
बता दें कि अधीक्षिका ने गांव में ही अपना मकान बना लिया था, जहां वह अपने पति के साथ रहा करती है और रात को छात्राओं को महिला चपरासी के भरोसे छोड़कर घर वापस आ जाती है। इस मामले को लेकर गांव की सरपंच ने कहा कि इस घटना की जानकारी पूरे गांव को हो चुकी है।
छात्राओं की सुरक्षा को लेकर पूरा गांव एक मत है और अधीक्षिका समेत जो भी इसमें संलिप्त है, उसके खिलाफ निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्रिश्चन धर्म का प्रचार करती थी अधीक्षिका!
ग्रामीणों ने अधीक्षिका पर क्रिश्चिन धर्म का प्रचार-प्रसार करने का भी आरोप लगाया है। अधीक्षिका जशपुर की रहने वाली है और स्वयं क्रिश्चिन धर्म को मानती। ग्रामीणों ने जानकारी दी कि वह हर रविवार को छात्रावास की बालिकाओं को चर्च में लेकर जाया करती थी। उन्हें क्रिश्चन धर्म से जोड़ने का हर वक्त प्रयास करती रहती थी।