स्वामी आत्मानंद स्कूलों में 460 सीटें खाली, ग्रामीण क्षेत्र के छात्रा नहीं ले रहे प्रवेश
बिलासपुर
जिला में एक तरफ स्वामी आत्मानंद स्कूलों में प्रवेश के लिए मारामारी की स्थिति है। पालक अपने बच्चों को स्कूलों में भर्ती कराने के लिए तरह-तरह के एप्रोच राजनीतिक नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। इसके बावजूद उनके बच्चों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के स्वामी आत्मानंद स्कूलों में कक्षा नवमी से लेकर 12वीं के कक्षा में 460 सीटें खाली है। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे प्रवेश लेने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में खुले स्वामी आत्मानंद स्कूलों 9 वीं से लेकर 12 वीं तक छात्राओं की संख्या कम है, 18 स्कूलों में 460 सीटें खाली हैं। सभी स्कूलों की कक्षावार रिपोर्ट आने के बाद इसकी संख्या बढ़ सकती है। ऑनलाइन फार्म जमा करने के लिए समय बढ़ा दिया गया है और जिस क्षेत्र में स्कूल है वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ नागरिकों को समय बढ़ाने की जानकारी दी जा रही है।
इसके अलावा आत्मानंद स्कूलों में एडमिशन लेने पर जोर दिया जा रहा है। जिले में शासन ने 30 आत्मानंद स्कूल खोले है। इन स्कूलों में शहरी क्षेत्र में तो एडमिशन के लिए प्रतिस्पर्धा रहीं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के आधे से अधिक सीटें खाली रह गईं। इसके अलावा बड़ी कक्षा यानी नवमी से 12वीं तक के लिए बच्चे एडमिशन लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी अंग्रेजी माध्यम स्कूल होना है। पहली से आठवीं तक के कक्षाओं में ही एडमिशन के लिए अधिक आवेदन आए लेकिन नवमी से 12वीं तक के सीटें अभी भी खाली है।
छोटे बच्चों के लिए भारी संख्या में आए आवेदन
आत्मानंद स्कूल में पहली से पांचवी तक की कक्षाओं के लिए इस साल अधिक आवेदन आए। सात नए स्कूल भी खोले गए। ज्यादातर पालक छोटे बच्चों को कक्षा पहली से पांचवी में प्रवेश दिलाने में रूचि ले रहे हैं ताकि बच्चे शुरुआत से सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाई कर सकें।
एक सीट के लिए 10 आवेदन मिले। जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक का एप्रोच अभिभावकों ने लगाया, जिसके बाद बच्चों को एडमिशन मिल पाया। 16 जून से इन स्कूलों को शुरू करने की तैयारी भी अफसर कर रहे हैं। जिला नोडल अधिकारी रामेश्वर जायसवाल ने बताया कि स्वामी आत्मानंद स्कूलों के हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल की कक्षाओं में बच्चे प्रवेश नहीं ले रहे हैं सबसे ज्यादा समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में आ रही है। सभी स्कूल के प्राचार्यों को सीटें भरने के निर्देश दिए गए हैं।