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सीएए को ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य क्या अपने यहाँ लागू होने से रोक सकते हैं?- प्रेस रिव्यू

नई दिल्ली

नागरिकता संशोधन क़ानून लागू करने को लेकर कुछ ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों की ओर से विरोध किया जा रहा है. इनका कहना है कि ये अपने राज्य में सीएए लागू नहीं करने देंगे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के सीएम पिनराई विजयन के बाद अब तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी है. लेकिन क्या राज्यों के पास यह अधिकार है कि सीएए को लागू होने से रोक दें. आज प्रेस रिव्यू में इसी मुद्दे पर छपी रिपोर्ट पढ़िए.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़, वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि नागरिकता केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है, ऐसे में राज्य सरकारों के विरोध का कोई असर नहीं होगा. गृह मंत्रालय ने सीएए नियमों में नागरिकता के आवेदन की प्रक्रियाओं को संभालने की ज़िम्मेदारी डाक विभाग और जनगणना से जुड़े अधिकारियों को सौंपने का फ़ैसला किया है. ये विभाग केंद्र सरकार के तहत आते हैं. द हिंदू से गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ”आवेदकों को ऑनलाइन अप्लाई करना होगा. ऐसे में राज्य सरकार के अधिकारियों, स्थानीय पुलिस के शामिल होने की संभावनाएं कम ही हैं.”

नागरिकता पर फ़ैसला किसका
आवेदकों के आवेदन पर अंतिम फ़ैसला इम्पावर्ड कमिटी को लेना है. हर राज्य में इस कमिटी का एक निदेशक होगा.इस कमिटी में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, पोस्ट मास्टर जनरल, नेशनल इन्फर्मेशन सेंटर के अधिकारी, राज्य के गृह विभाग से एक प्रतिनिधि और डिविजनल रेलवे मैनेजर होंगे.ज़िला स्तर की कमिटी का ये काम होगा कि वो आवेदनों को परखे. इस कमिटी के प्रमुख सूपरिटेंडेंट होंगे. कमिटी में नायब तहसीलदार की रैंक के समकक्ष एक अधिकारी होगा. द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों की मानें तो मंगलवार को कई लोगों ने नागरिकता वाले ऑनलाइन पोर्टल में अप्लाई किया.

एक अधिकारी कहते हैं, ”सीएए के सेक्शन 6बी के तहत कई कैटिगिरी हैं. कई दस्तावेज़ हैं, जिनमें स्थानीय संस्थाओं की ओर से जारी सर्टिफिकेट भी शामिल हैं. एक बार सारे आवेदन पूरी तरह से भर जाएं, तभी संख्या का पता चल पाएगा.”आवेदकों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के सरकारी विभागों की ओर से जारी हुए दस्तावेजों को जमा करना होगा.इसके अलावा आवेदकों को ज़िला स्तर की कमिटी के सामने जाकर पेश भी होना होगा.

सीएए नियमों में कहा गया है कि एक बार आवेदक के ऑनलाइन फॉर्म को पूरी तरह से देख, परख लिया जाएगा, इसके बाद आवेदक को ईमेल या एसएमएस के ज़रिए ज़िला स्तर कमिटी (डीएलसी) के सामने सारे ओरिजनल दस्तावेज़ लेकर वेरिफिकेशन के लिए जाना होगा.”अगर सारे दस्तावेज़ सही पाए गए तो अधिकारी एक तरह का शपथ पत्र आवेदक को जारी करेगा और ज़रूरी काग़ज़ों की डिजिटल कॉपी इम्पावर्ड कमिटी के पास अंतिम फ़ैसले के लिए भेज दी जाएगी.11 मार्च को मोदी सरकार ने सीएए संबंधी नियमों की अधिसूचना जारी की थी. ये क़ानून संसद में चार साल पहले पास हुआ था. इस क़ानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए हिंदुओं, सिख, बुद्ध, पारसी, ईसाई और जैन समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

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