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चीन ने भी मानी अग्नि-5 की ताकत, ग्लोबल टाइम्स बोला- भारत अब मिसाइल टेक्नॉलजी का बड़ा खिलाड़ी

बीजिंग

चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत की अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण पर प्रतिक्रिया दी है। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घोषणा की थी कि भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया। मीडिया में बताया गया है कि एमआईआरवी तकनीक की तैनाती से रणनीतिक बलों के लिए भारत की पहली-स्ट्राइक दक्षता में वृद्धि हो सकती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर कहा कि भारत इस मिसाइल तकनीक का उपयोग करने में सक्षम राष्ट्रों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस का जिक्र किया जो पहले से ही एमआईआरवी मिसाइलों का उपयोग कर चुके हैं।

‘भारत-चीन में दुश्मनी चाहते हैं लोग’

ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा, “भारतीय और पश्चिमी मीडिया ने यह प्रचार किया कि भारत के कदम का उद्देश्य “प्रतिद्वंद्वी” चीन और पाकिस्तान के खिलाफ परमाणु प्रतिरोध बढ़ाना है, और इससे चीन “घबरा जाएगा” और उसे भारत पर “कोई बढ़त नहीं मिलेगी।” जब भी भारत सैन्य प्रगति करता है, भारत और कुछ प्रमुख पश्चिमी देशों में लोग, जो दो एशियाई शक्तियों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के इच्छुक हैं, तुरंत प्रचारित करते हैं कि इससे चीन और पाकिस्तान को डर लगेगा। ऐसा लगता है मानो चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों में नए शामिल किए गए हथियार का शीघ्रता से उपयोग किया जाना चाहिए। यह विचार भोला और खतरनाक है।”

ग्लोबल टाइम्स ने चीन को सराहा

ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में भारत के प्रति चीन की नीतियों और दृष्टिकोण की सराहना भी की। उसने लिखा, “भारत के साथ सक्रिय रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित कर रहे चीन का रवैया ईमानदार है। और सच तो यह है कि चीन, भारत की सैन्य क्षमताओं में सुधार को लेकर बहुत चिंतित नहीं है क्योंकि यह सुधार भारत की सैन्य शक्ति में चीन से आगे निकलने की प्रवृत्ति नहीं है।” ग्लोबल टाइम्स ने शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में चीन-दक्षिण एशिया सहयोग अनुसंधान केंद्र के महासचिव लियू जोंग्यी के हवाले से लिखा, “भारत और अमेरिका जैसी अन्य प्रमुख शक्तियों के बीच मिसाइल क्षमताओं के मामले में अभी भी बहुत बड़ा अंतर है, यहां तक कि पीढ़ीगत अंतर भी है।

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