Advertisement
देश

‘हर घंटा बच्चे के लिए…’ 14 साल की लड़की ने की 7 माह का गर्भ गिराने की मांगी इजाजत, CJI चंद्रचूड़ ने सुनाया फैसला

नई दिल्ली

यौन उत्पीड़न की वजह से गर्भवती हुई 14 साल की लड़की को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा राहत दी है. इस नाबालिग लड़की ने सुप्रीम कोर्ट से अपने 30 हफ्ते (साढ़े 7 महीने) की गर्भवस्था को समाप्त करने की इजाजत मांगी थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे गर्भपात की इजाजत दे दी.

सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने बॉम्बे हाई कोर्ट के गर्भपात कराने के आदेश देने से मना करने के फैसले को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत मिले पावर का इस्तेमाल करते का हुए आदेश दिया. CJI चंद्रचूड़ ने अपने आदेश में कहा कि गर्भपात में देरी से हर घंटा बच्चे के लिए कठिनाई भरा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को इस नाबालिग के मेडिकल टेस्ट का आदेश दिया था. कोर्ट ने मुंबई के सायन स्थित लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (LTMGH) से इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा था कि अगर पीड़िता चिकित्सकीय रूप से गर्भपात कराती है या उसे ऐसा न करने की सलाह दी जाती है तो इसका उसकी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति पर क्या असर पड़ने की संभावना है.

इस पर सायन के मेडिकल बोर्ड ने इस मामले में साफ तौर से राय दी है कि गर्भावस्था जारी रहने से नाबालिग की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर असर पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही कहा, ‘इसमें कुछ हद तक जोखिम शामिल है. हालांकि मेडिकल बोर्ड ने राय दी है कि बच्चे को जन्म देने के मुकाबले गर्भपात करने में जोखिम कम है.’ पीठ ने कहा, ‘सायन अस्पताल के डीन से नाबालिग के चिकित्सीय गर्भपात करने का अनुरोध किया जाता है.

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत, गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह है, जिनमें बलात्कार पीड़िताएं और अन्य कमजोर महिलाएं, जैसे कि विकलांग और नाबालिग शामिल हैं.

Related Articles

Leave a Reply