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पति ने प्रेग्नेंट पत्नी के कपड़े उतारकर गांव में घुमाया… रिश्तेदारों ने देखी हैवानियत, अब मिली सजा, क्या थी वजह?

प्रतापगढ़

राजस्थान के प्रतापगढ़ में भी पिछले साल एक युवक ने अपनी ही पत्नी को निर्वस्त्र किया और करीब एक किमी तक जुलूस निकाला. उस समय आरोपी को ना तो परिवार वालों ने रोका और ना ही गांव वालों ने ही कोई हस्तक्षेप किया. तीन दिन बाद जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो पुलिस ने मामले का संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज किया. मणिपुर के बाद राजस्थान में हुई इस घटना से पुलिस और सरकार की इतनी किरकिरी हुई थी कि तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत खुद मौके पर पहुंचे थे.

वहीं प्रतापगढ़ पुलिस ने उसी समय सभी आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया था. पुलिस ने न्यूनतम समय में चार्जशीट पेश की और मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई. कोर्ट ने भी महज 7 महीने के अंदर मामले की सुनवाई पूरी करते हुए तीन महिलाओं समेत कुल 17 आरोपियों को कठोर कारावास की सजा सुनाई है. पुलिस की ओर से कोर्ट में पेश केस डायरी के मुताबिक यह घटना समाज और सिस्टम को झकझोर देने वाली है. इस केस डायरी के मुताबिक पिछले साल अगस्त में पीड़ित महिला प्रेग्नेंट थी.

निर्वस्त्र अवस्था में निकाला था जुलूस
उन्हीं दिनों वह अपने प्रेमी के साथ घर छोड़ कर चली गई थी, लेकिन कुछ ही दिन बाद वापस भी लौट आई. इधर जैसे ही वह अपने ससुराल पहुंची, उसके पति और अन्य ससुरालियों ने उसे निर्वस्त्र किया और करीब एक किमी तक उसी हाल में उसका जुलूस निकाल दिया. उस समय आरोपी पति को ऐसा करने से ना तो उसके घर वालों ने रोका और ना ही गांव के ही किसी व्यक्ति ने हस्तक्षेप किया. बल्कि सभी लोग आरोपी पति का उत्साह बढ़ाते नजर आए थे.

वायरल वीडियो पर पुलिस ने लिया एक्शन
संयोग से गांव के ही किसी व्यक्ति ने अपने मोबाइल फोन से इस घटना का वीडियो बना लिया और अपने किसी मित्र को भेज दिया. बाद में उसी मित्र ने पुलिस को टैग करते हुए यह वीडियो सोशल मीडिया में डाल दिया. देखते ही देखते यह वीडियो वायरल होने लगा. ऐसे में पुलिस ने भी इस वीडियो पर संज्ञान लिया और पीड़िता व उसके पति की पहचान की. पुलिस की पूछताछ में पीड़िता ने पूरा घटनाक्रम बताते हुए आरोपियों के नाम और उनकी भूमिका भी बता दी.

सजा में रियायत की बात करना भी पाप: कोर्ट
इसके बाद पुलिस ने सभी 17 आरोपियों को अरेस्ट कर मजबूत चार्जशीट तैयार किया. इसके बाद मामले की सुनवाई जिला अदालत की फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई. इसमें अदालत ने इस घटनाक्रम को जघन्यतम माना. कहा कि इस मामले में आरोपियों को किसी तरह की रियायत की बात करना भी पाप है. इस प्रकार कोर्ट ने मामले में फाइनल ऑर्डर जारी करते हुए पति समेत 14 पुरुष आरोपियों को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. वहीं सास समेत तीन महिला आरोपियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है.

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