रायपुर। राजधानी के डी.डी. नगर में नवरात्रि के उपलक्ष्य में “माता जस तिहार” का आयोजन किया जा रहा है. माता की आराधना करने मांदर की धुन में जस गीत गाया जाता है. प्रतिदिन शाम 8 बजे से 11 बजे तक सुवा नृत्य, करमा नृत्य, पंथी नृत्य, राउत नाचा, बस्तरिहा नृत्य, सरगुजीहा नृत्य का आयोजन किया जाता है, जिसमें राजधानी के महिला, पुरुष, बच्चे बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
छत्तीसगढ़ी लुगरा में सजी महिलाएं पूतरी, ऐंठी, सुता आदि छत्तीसगढ़ी सवांगा पहनकर सुवा करती हैं. पुरुष भी परिवारजनों के साथ शामिल होकर नृत्य कर रहे हैं.
लंदन निवासी भूपेंद्र कौशिक अपने स्वर्गीय पिता नारायण प्रसाद कौशिक की स्मृति में “माता जस तिहार” का आयोजन सांस्कृतिक परिपालन समिति के साथ मिलकर कर रहे हैं. राजधानी में इस प्रकार के अनूठे आयोजन का विचार कैसे आया, पूछने पर समाज सेविका ऋचा वर्मा ने बताया कि युवा पीढ़ी गरबा करना तो जानती है, लेकिन छत्तीसगढ़ी संस्कृति से दूर होती जा रही है. अपनी जन्मभूमि का मान बढ़ाने और सांस्कृतिक पहचान को दूर-दूर तक फैलाने के उद्देश्य से इस आयोजन का विचार आया.
भूपेंद्र कौशिक ने बताया कि लंदन में छत्तीसगढ़ के बारे में पूछने पर उनके पास कोई जवाब नहीं होता. लोग छत्तीसगढ़ को या तो स्टील उद्योग के कारण जानते हैं या नक्सल गतिविधियों के नाम से, जबकि इससे हटकर हमारी सांस्कृतिक विरासत के बारे में लोगों को बताने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति पर गर्व करे और छत्तीसगढ़ी बोलने में शर्माए नहीं, बल्कि गर्व महसूस करे.