वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन में तृतीय स्थान पर रहे अकलतरा के पारसराम ने अकेले मनाया जीत का जश्न
जांजगीर। अकसर देखा जाता है कि 70 पार के वृद्ध इस उम्र में घुटनों में दर्द, बीपी, शुगर और अन्य शारीरिक समस्याओं से परेशान किसी तरह जिंदगी को ढोते हैं और उस पर भी यदि बेटे और बहु ठीक नहीं हो तो जिंदगी वाकई बोझ बन जाती है, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो उम्र को केवल एक नंबर और बढ़ती उम्र को जीवन के बढ़ते अनुभव में शामिल कर पूरे उत्साह से जीवन जीतें हैं और ऐसे ही लोगों के लिए वेदांता दिल्ली आफ मैराथन द्वारा दौड़ का आयोजन किया गया था, जिसमें अकलतरा विकासखंड के ग्राम सांकर के रहने वाले 72 वर्षीय पारसराम गोड़ ने वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन दौड़ जीती हैं।
उन्होंने बताया कि वेदांता दिल्ली आफ मैराथन 2024 प्रतियोगिता 65 से 74 वर्ष के पुरुष वर्ग के लिए रखी गई थी जिसमें उन्होंने तृतीय स्थान प्राप्त किया है। यह मैराथन प्रतियोगिता दिल्ली के संसद भवन से प्रारंभ होकर इंडिया गेट होते हुए वापस संसद भवन में समाप्त हुई। इनके जीतने पर नगर एवं ग्रामवासियों ने हर्ष व्यक्त किया है।
विडम्बना कि इस उपलब्धि पर पारसनाथ खुशी मनाने अकेले डीजे की धून पर थिरक रहे थे। होना तो यह चाहिए था कि उनका जगह- जगह फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया जाना था, लेकिन केवल अपने ही परिवार तक सीमित यह समाज पारसनाथ की उपलब्धि पर गर्व न कर सका। आज मैराथन विजेता पारसनाथ के स्थान पर शायद कोई सभ्रांत शहरी यह मैराथन जीतते तो उन्हें वृद्ध आइकान की तरह पेश किया जाता और हो सकता है कि उनसे लोग उनकी इस सफलता और इस स्वस्थ जीवन का राज पूछते लेकिन अपने ही मुंह मियां मिटटू के दौर में किसी साधारण ग्रामीण की सफलता क्या मायने रखती है।