जांजगीर चाँपा : इस सरकारी अफसर की जीवन दर्शन पर लिखी हिंदी कविता छाई सोशल मीडिया पर

जनपद सीईओ हिमाँशु गुप्ता द्वारा लिखी कविता सोशल मीडिया पर जमकर हो रही है वायरल
जांजगीर चाँपा। छत्तीसगढ़ के अकलतरा जनपद पंचायत के सीईओ हिमांशु गुप्ता द्वारा जीवन दर्शन पर लिखी एक हिंदी कविता इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। इस बेहतरीन कविता के लिए जनपद सीईओ की जमकर सराहना की जा रही है।
अकलतरा जनपद पंचायत के सीईओ हिमांशु गुप्ता द्वारा लिखी कविता “ये अदद झुर्रियाँ नहीं है” ने सोशल मीडिया पर एक अलग पहचान बनाई है। इस कविता में जीवन के अनुभवों और संघर्षों को गहराई से दर्शाया गया है। उन्होंने झुर्रियों को एक कैनवास के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें जीवन की कहानी को अनुभव, संघर्ष और सफलता के रंगों से उकेरा गया है।
पढिए हिमांशु गुप्ता की कविता–
ये अदद झुर्रियाँ नहीं है शरीर पे
ये मेहनत की लकीरें हैं
ये सार है जीवन का
जो अनुभव के चूल्हे पे
धीरे धीरे पकीं हैं
कभी पढ़ना हो
तो पास बैठो इनके
इनके हाथों को
लेकर ज़रा
अपने हाथों में
झांको के इन झुर्रियों
के भीतर
देखो इनकी आँखों को गौर से
जीवन क़िस्सो कहानियों
के रूप में ठीक तुम्हारे सामने
खड़ी मिलेगी
खो जाओ इनकी
दबी सी मुस्कुराहट में
कुछ ऐसा ख़ज़ाना
मिल जाये शायद
जो अनंत हो
ये झुर्रियाँ कैनवास है
जिसमें कमाल की
कारिगिरी है
परमात्मा ने खुद ऊकेरें हैचित्र
कमाल का संयोजन है रंगों का
इन श्वेत श्याम झुर्रियों में
पर शायद ये चित्र किसी
आर्ट गेलरी मे न मिले
तुम्हे जाना पड़ेगा
इनकी गलियों मे चौपाल मे
ये झुर्रियाँ नहीं
जीवन दर्शन हैं ये
थोड़ा समय निकालो
शायद तुम्हें ठीक वही मिल जाये
जिसकी खोज में हो तुम
ये अदद झुर्रियाँ नहीं है जनाब
हिमांशु “सहर”
कविता का सार:
हिमांशु गुप्ता की कविता में झुर्रियों को मेहनत की लकीरों के रूप में देखा गया है, जो जीवन के अनुभवों को संजोए हुए हैं। वह पाठकों को प्रेरित करते हैं कि वे इन झुर्रियों में छिपे जीवन के गूढ़ दर्शन को समझें और इन्हें केवल उम्र की निशानी न मानें। कविता में झुर्रियों को “परमात्मा द्वारा बनाई गई कलाकृति” बताया गया है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया:
कविता ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि व्यापक सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का भी ध्यान खींचा। पाठकों ने इसे जीवन के गहरे अर्थों को व्यक्त करने वाली रचना बताया। यह कविता उन लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई है, जो जीवन के संघर्षों और अनुभवों को सराहना सीखना चाहते हैं।
पाठकों की प्रतिक्रियाएं:
एक यूजर ने लिखा, “यह कविता हमें यह सिखाती है कि झुर्रियां केवल उम्र की नहीं, बल्कि अनुभव और मेहनत की कहानी होती हैं।”
एक अन्य ने कहा, “हिमांशु जी ने बहुत खूबसूरती से जीवन के दर्शन को शब्दों में बांधा है। यह सच में प्रेरणादायक है।”
कवि के शब्द:
कविता के माध्यम से हिमांशु गुप्ता ने कहा, “यह कविता जीवन की उन छोटी-छोटी बातों को उजागर करती है, जो हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। झुर्रियां केवल शरीर की कहानी नहीं, बल्कि संघर्ष, मेहनत और अनुभव की अमूल्य धरोहर हैं।”
विस्तृत संदेश:
इस कविता ने यह संदेश दिया है कि जीवन में अनुभवों और संघर्षों को समझना और सराहना बेहद जरूरी है। झुर्रियों को किसी कमी के रूप में नहीं, बल्कि जीवन की उपलब्धियों और कहानियों के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए।
यह कविता न केवल साहित्य प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बनी, बल्कि जीवन के प्रति एक नई दृष्टि देने का काम भी कर रही है।