शराबबंदी पर बोले मंत्री लखमा : नोटबंदी की तरह नशाबंदी नहीं होगी, बस्तर-सरगुजा के आदिवासी क्षेत्रों को भी देखना होगा
रायपुर
प्रदेश सरकार शराब पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रही है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र में पार्टी ने पूर्ण शराबबंदी का वादा भी किया था। अब वाणिज्य, उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने नया तर्क दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा, नोटबंदी की तरह अचानक शराबबंदी नहीं होगी, इसलिए प्रतिबंध में देर हो रही है। मंत्री कवासी लखमा कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन पहुंचे वहा उनसे शराबबंदी के वादे पर कई सवाल जबाव हुए। कवासी लखमा ने कहा, बस्तर-सरगुजा में आदिवासी हैं। वे पूजा-पाठ में शराब का उपयोग करते हैं। शराबबंदी आदिवासी क्षेत्र में कैसे करना है यह भी देखना होगा, इसलिए सरकार ने वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। इसमें विधायक दल के लोग भी हैं। सामाजिक संगठनों की भी बारी-बारी से मीटिंग हो रही है। उनसे जो सुझाव आएगा उसके आधार पर शराबबंदी होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कई राज्यों से घिरा हुआ है। यहां किसान, मजदूर कई तरह के लोग रहते हैं। सरकार कोशिश कर रही है कि शराब बंद होने से किस को किस प्रकार का नुकसान होगा, उसका अनुमान लगा लिया जाए। इसको बस्तर में कैसे करना है, सरगुजा में कैसे करना है। उन्होंने कहा, पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में पंचायत अनुमति देती है या नहीं इसको भी देखना होगा। 2019 में पहली राजनीतिक समिति बनी राज्य सरकार ने शराबबंदी लागू करने के तरीकों और प्रभावों का अध्ययन करने के लिए 2019 में दो समितियां बनाई थीं। पहली राजनीतिक समिति थी, जिसमें कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में सभी दलों के विधायकों को शामिल किया जाना था। कई महीनों तक भाजपा ने किसी विधायक का नाम ही नहीं भेजा तो यह समिति काम शुरू नहीं कर पाई। सामाजिक संगठनों और समाज के प्रतिनिधियों की समिति बनी तो एक महीने पहले उसकी पहली बैठक हो पाई। दोनों समितियों ने पूर्व में शराबबंदी लागू कर चुके प्रदेशों में अध्ययन दल भेजने का फैसला किया है। इसमें उन प्रदेशों का अध्ययन भी शामिल है, जहां शराबबंदी लागू थी, लेकिन बाद में शराब बिक्री से प्रतिबंध हटा लिया गया। समितियों का तर्क था, इस अध्ययन के जरिए शराबबंदी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का पता चलेगा। इससे यहां प्रभावी शराबबंदी लागू करने में आसानी होगी। अभी तक आबकारी विभाग इस अध्ययन यात्रा की औपचारिक तैयारी भी शुरू नहीं कर पाया है।