छत्तीसगढ़

रूठा मानसून: खेतों की दरारों से ज्यादा किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें

रायपुर

छत्तीसगढ़ में हाल के वर्षों में शायद पहली बार ऐसी नौबत आई है जब मानसून आने के बाद जुलाई के महीने के मध्य में किसानों को अपनी खेतों के लिए बांधों से पानी की मांग करनी पड़ी है। खेती किसानी के जानकार मानते हैं कि इस साल मानसून समय पूर्व आने से खेती की गतिविधियां तो शुरु हो गई, लेकिन जब किसानों को रोपा लगाने के लिए पानी की जरुरत पड़ी तो मानसून ब्रेक हो गया है। इस बीच किसानों की मांग पर सरकार ने धमतरी के सोढूर बांध से पानी छोड़ दिया है, लेकिन किसान गंगरेल से भी पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं। इस संवाददाता ने रायपुर जिले के आसपास अभनपुर,आरंग क्षेत्र में धान की फसल का जायजा लेने के बाद पाया कि किसानों ने शुरुआती बारिश के बाद से ही धान की फसल लेने की तैयारी में काम शुरु कर दिया था। शुरुआत में अच्छी बारिश से उत्साहित किसानों ने सबसे पहले रोपा लगाने की तैयारी की। बाद में जब खेतों में पानी जमा हुआ तो छिडकाव के माध्यम से भी बुवाई कर दी। लेकिन इस बीच जुलाई में दो बार मानसून ब्रेक की वजह से रोपा लगाने वाले तथा सीधी बुवाई करने वाले किसान कम बारिश के कारण संकट में पड़ गए हैं।

धमतरी जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा रविवार से सोंढूर जलाशय से पानी छोड़ा जा रहा है। इस जलाशय से पांच सौ क्यूसेक पानी दुधावा जलाशय को भरने और किसानों के फसल की सिंचाई के लिए छोड़ा जा रहा है। वर्षा नहीं होने के कारण फसल को सूखने से बचाने के लिए सिंचाई हेतु नगरी के सोंढूर जलाशय से पानी छोड़ने की मांग कर रहे थे। हालांकि पहले भी जलाशय से पानी छोड़ा गया था, किन्तु क्रॉस रेगुलेटर की मरम्मत कार्य की वजह से पानी कम छोड़ रहे थे, लेकिन रविवार सुबह से जलाशय से 500 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।

इधर धमतरी जिला जहां काफी क्षेत्र सिंचित है, वहां भी बारिश न होने से धान की फसल पर संकट है। जिले में पिछले एक सप्ताह से बारिश न होने के कारण खेतों में दरारें साफ नजर आ रहीं है। जिले के किसान बांधों से पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर बेमतरा के धमधा इलाके में जहां खेती काफी बड़े पैमाने पर होती है, वहां से मिली जानकारी के अनुसार वहां बारिश नहीं होने से किसान चिंतित हैं। यहां भी कई इलाकों में खेतों में सूखे की वजह से दरारें आ गईं है। जगदलपुर. पिछले एक सप्ताह से बारसूर इलाके में चिलचिलाती धूप निकल रही है। खरीफ की मुख्य फसल पर इसका प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। किसान टकटकी लगाए आसमान को निहार रहे हैं पर उनकी परेशानी कम नहीं हो रही है। 11 जुलाई के बाद बारसूर, मुचनार , उपेट व हितामेटा में हल्की हल्की से मध्यम बारिश हुई। जबकि इससे पहले इलाके में एक सप्ताह तक लगातार चिलचिलाती धूप और तेज गरमी का माहौल रहा। मौसम के बदले तेवर से लोगों को फौरी तौर पर राहत मिली। वही रोपा लगाने वाले किसान जो पानी के अभाव में काम पूरा नही कर पा रहे थे, अब पुनः सोमवार से इस काम में लग जाएंगे। इधर बारिश के बाद भी बिंयासी का काम नहीं हो पाएगा। रविवार को हुई वर्षा से क्यारियों में केवल मचाई लायक पानी है।

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