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जांजगीर चांपा

पोड़ी दल्हा के डा. रामखिलावन सिंह ने अपने प्रयोग को कराया पेटेंट

अकलतरा

पोड़ी दल्हा अकलतरा के डाक्टर रामखिलावान सिंह ने पर्यावरण को सुरक्षित और स्वच्छ रखने की दिशा में बरगद नीम और पीपल को एक विशेष तरह से बनाये गमलेनुमा पात्र में उगाने और पर्यावरण को बचाने अपना शोध पेटेंट कराया और उनके इस पेटेट पर दक्षिण भारत में प्रयोग भी शुरू हो चुका है । पोड़ी दल्हा के प्रतिष्ठित नागरिक डाक्टर रामखिलावन सिंह ने बताया कि बरगद नीम और पीपल को पर्यावरण के लिए वरदान माना जाता है और उन्होंने एक लंबे प्रयोग के बाद यह साबित कर दिया है कि ये पर्यावरण के मित्र इन तीनों पेड़ों को गमले में उगाया जा सकता है और अन्य पौधों की तरह इन्हे गमले में उगाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है जिससे इन तीनों पेड़ों से निकलने वाली शुद्ध हवा से पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है । माना जाता है कि ये विशालकाय वृक्ष गमले में नहीं उगाये नहीं जा सकते हैं और तीनों को एक साथ उगाना और जीवित रखना असम्भव है क्योंकि बरगद का विशालकाय वृक्ष जहां भी उगता है वहां उसकी जड़ें फैलकर दीवारों और घरों को कमजोर कर देती है इसलिए बरगद और पीपल जैसे वृक्षों को तालाबों मैदानों और खुली जगहों में लगाया जाता है जिससे आसपास बने घरों की नींव सुरक्षित रहे वहीं नीम का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जो रात में भी शुद्ध आक्सीजन का उत्सर्जन करता है डाक्टर रामखिलावन सिंह ने बताया कि आज बड़े शहरों में हरियाली बनाये रखने और पर्यावरण शुद्ध रखने गमलों में पौधे लगाए जाते हैं लेकिन इन तीनों ही पेड़ों को साथ में बड़े शहरों में लगा पाना मुश्किल है इसलिए मेरे द्वारा लंबे समय से बरगद नीम और पीपल को एक विशेष प्रकार के बडे गमलेनुमा पात्र में उगाने और उसकी लंबाई चौड़ाई को नियंत्रित रखने की कोशिश की जा रही थी जिसपर मुझे अपने प्रयोग में बहुत हद तक सफलता मिली है अब आगे मैं इस प्रयोग पर काम करना चाहता हूं इसलिए इन तीनों पेड़ों को साथ में गमले पर उगाने की तकनीक को मैंने पेटेंट कराया है । इस प्रयोग से विश्व के पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने की दिशा में मेरा यह प्रयोग एक बड़ी क्रांति हो सकती है । इस प्रयोग में एक विशेष प्रकार के खाद का प्रयोग किया गया है और उसकी जड़ो को बढ़ने से नियंत्रित किया गया है । इन पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं है और यह पेड़ चौबीसों घंटे आक्सीजन उत्सर्जित करते रहेंगे । डाक्टर रामखिलावन सिंह की पुत्री डाक्टर अनुभा सिंह ने बताया कि उनके पिता हमेशा से एक पर्यावरण प्रेमी , समाजसेवी और लोगों के बीच भाई-चारा के हितैषी व्यक्ति रहे हैं जिन्होंने न केवल आसपास के पर्यावरण को बचाये के लिए पौधे लगाने और विभिन्न प्रजातियों के पेडो को बचाने का प्रयास किया बल्कि समाज के पर्यावण को भी साफ और स्वच्छ रखने की कोशिश की है और बरसों इस प्रयोग पर काम करने के बाद उनका यह प्रयोग पेटेंट करा लिया गया है ।

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