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रायपुर

लू को लेकर 11 जिलों में ऑरेंज और 7 में यलो अलर्ट जारी, जांजगीर जिला सबसे ज्यादा गर्म रहा, बचने के लिए यहां देखें लक्षण और उपाय

रायपुर

छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ रही है। इससे लोगों का हाल बेहाल है। राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में सुबह से ही तेज धूप के साथ गर्मी पड़ रही है। लोगों का दोपहर में घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। दिन में गर्मी से लोगों का बुराहाल है। रात को भी गर्म हवाओं से चैन नहीं मिल रही है। मानसून से पहले ही लोग भीषण गर्मी झेल रहे हैं। राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, तो कई जिलों में येलो अलर्ट भी जारी किया गया है। जांजगीर जिला सबसे ज्यादा गर्म रहा।

प्रदेश में गर्मी को देखते हुए सीएम भूपेश बघेल ने अधिकारियों को गर्मी और बारिश में हो रही देरी पर तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। लू और गर्मी से बचाव की जरूरी व्यवस्था करने को कहा है। अस्पतालों और नगरी निकायों को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा कि किसान को बारिश में देरी से नुकसान ना हो पाए।अगले 24 घंटे के लिए जशपुर, बिलासपुर, सरगुजा, कोरबा, मुंगेली, जांजगीर, बलौदा बाजार, महासमुंद, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वहीं कोरिया, बलरामपुर, बालोद, जशपुर, बेमेतरा, कांकेर, रायगढ़ जिले के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा 12 जिलों में 48 घंटे के लिए अलर्ट जारी किया गया है।

प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्म जिला जांजगीर 44.7 डिग्री तापमान रहा। रायगढ़ में 44 डिग्री तापमान, कोरिया 40 डिग्री, बीजापुर 40.1 डिग्री, रायपुर 42.5 डिग्री, राजनांदगांव 40.8 डिग्री, महासमुंद 42.4 डिग्री, बिलासपुर 42.4 डिग्री, कोरबा में 40.6 डिग्री, बलरामपुर में 42 डिग्री, सूरजपुर 40.5 डिग्री, जशपुर 40. 8 डिग्री तापमान रहा।

स्वास्थ्य विभाग ने की गर्मी से बचने की अपील
ग्रीष्म ऋतु में तेज धूप और गर्म हवाओं का असर दिखने लगा है। पारा चढ़ने के साथ लू का भी खतरा बढ़ रहा है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से शरीर में पानी की कमी न होने देने की अपील की है। ज्यादा गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी या डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इसका सेहत पर बुरा असर पड़ता है। आमतौर पर लोग इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते। स्वास्थ्य विभाग ने लू से बचाव और इसके प्रबंधन हेतु व्यापक जन-जागरूकता के लिए विस्तृत जानकारी प्रसारित की है।

लू के लक्षण
सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, अधिक प्यास लगना, पेशाब कम आना, भूख न लगना और बेहोशी लू लगने के लक्षण हैं।

लू से बचाव के उपाय
लू लगने का प्रमुख कारण तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज, मुख्यतः नमक की कमी होना है। इससे बचाव के लिए सावधानी रखना आवश्यक है। बहुत अनिवार्य न हो तो गर्मी में घर से बाहर न जाएं। धूप में निकलने से पहले सिर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें।

लू से बचने के लिए पानी अधिक मात्रा में पिएं। अधिक समय तक धूप में न रहें। गर्मियों में मुलायम सूती के कपड़े पहनना चाहिए ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहें। अधिक पसीना आने पर ओ.आर.एस. का घोल पिएं। चक्कर या मितली आने पर छायादार स्थान पर आराम करें। शीतल पेयजल, जूस, लस्सी, मठा इत्यादि का सेवन करें।

लू लगने पर यह करें
लू लगने पर प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श ले सकते हैं। उल्टी, सिरदर्द या तेज बुखार होने पर नजदीकी अस्पताल या स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जरूरी सलाह लें।

बुखार पीड़ित व्यक्ति के सिर पर ठंडे पानी की पट्टी लगाएं। अधिक पानी व पेय पदार्थ जैसे कच्चे आम का पना, जलजीरा इत्यादि पिलाएं। पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लिटाएं। शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहें। पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी डॉक्टर या अस्पताल में इलाज के लिए लेकर जाएं। मितानिन या एएनएम से ओआरएस के पैकेट के लिए संपर्क करें।

हीट वेब क्या है?
हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि है जो आमतौर पर दो या उससे अधिक दिनों तक रहती है। जब तापमान किसी दिए गए क्षेत्र के सामान्य औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव कहते हैं। लू की घटनाएं मौसम में दिन-प्रतिदिन बदलाव का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी की जलवायु गर्म होती जा रही है, वैसे-वैसे दिन और रात सामान्य से अधिक गर्म होते जा रहे हैं और हीट वेव की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे मौतों और बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

लू कब घोषित किया जाता है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की परिभाषा के अनुसार, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो यह खतरनाक लू की श्रेणी में कही जाती है। तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो लू चलने लगती है।

भारत में हीट वेव की अवधि क्या है?
यह मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में भी होती है। भारत में इन गर्म हवाओं का चरम महीना मई है।

हीट वेव का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, हीट वेव के स्वास्थ्य प्रभावों में आमतौर पर पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), ऐंठन, उष्माघात आदि शामिल होते हैं। 39 डिग्री सेल्सियस से कम बुखार, सूजन और बेहोशी आमतौर पर ऐंठन के लक्षण होते हैं। थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियां ऐंठन और पसीना लू लगने के संकेत देते हैं। उष्माघात के लक्षणों में शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक, दौरे या कोमा शामिल हैं। यह एक घातक स्थिति मानी जाती है।

हीट वेव का असर क्या पड़ रहा है?
गर्मी को देखते हुए बिहार के कई जिलों में 12वीं तक के स्कूलों को 24 जून तक बंद कर दिया गया है। बिहार में हीटवेव ने पिछले 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इससे पहले 2012 में 19 दिनों तक लगातार हीटवेव का दौर रहा था। इस बार हीटवेव को चलते हुए 20 दिन हो गए हैं। गोवा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में भी भीषण गर्मी को देखते हुए गर्मी की छुट्टियों को बढ़ा दिया गया है।

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