छत्तीसगढ़

कांग्रेस में घमासान: तीन पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दिया, इन कारणों से छोड़ा कांग्रेस का हाथ

दुर्ग। दुर्ग जिले की राजनीति में एक बार फिर खलबली मच गई है. कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद पार्टी में गुटबाजी और असंतोष बढ़ता जा रहा है. अपने ही नेताओ से असन्तुष्ट होकर कांग्रेस से इस्तीफा देने के दौर भी शुरू हो चुका है. भिलाई नगर निगम का चुनाव को अभी ढाई साल बचे हैं. लेकिन कांग्रेस की शहर सरकार पर अभी से संकट के बादल मंडराने लगे हैं. क्योंकि कांग्रेस के दो पार्षदों की पहले ही सदस्यता समाप्त हो चुकी है और अब भिलाई नगर पालिक निगम के तीन कांग्रेसी पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर को अपना इस्तीफा सौंपा है.

इन पार्षदों ने सौंपा इस्तीफा

भिलाई नगर निगम के इन पार्षदों में वार्ड 3 के दो बार के पार्षद हरिओम तिवारी, वार्ड 6 के पार्षद रवि कुर्रे और वार्ड 9 की पार्षद रानू साहू ने शनिवार को महापौर नीरज पाल के बंगले में जाकर कांग्रेस के भिलाई जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर को पार्टी से इस्तीफा सौंप दिया है. इस दौरान वहां भिलाई विधायक देवेंद्र यादव और महापौर नीरज पाल भी मौजूद थे. मेयर नीरज पाल और विधायक देवेंद्र यादव ने भी पार्षदों को समझने की कोशिश की. वहीं पार्षदों के इस फैसले से पूरी कांग्रेस पार्टी में खलबली मच गई है. यह जानकारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व सीएम भूपेश बघेल को भी दी गई है. इससे पहले भी कांग्रेस के 10 पार्षदों ने महापौर नीरज पाल के खिलाफ मोर्चा खोला था. जिसका फोटो और पत्र भी मीडिया में वायरल हुआ था. लेकिन बाद में मामले को जिलाध्यक्ष तक ही दबा दिया गया.

इन कारणों से दिया इस्तीफा

तीनों पार्षदों ने उनके वार्ड में विकास कार्य न होने और निगम में उपेक्षा का शिकार होने से नाराज चल रहे हैं. इसके साथ ही भिलाई महापौर पर कई आरोप लगाए. उनका कहना है, भिलाई निगम को सबसे अधिक राजस्व वैशाली नगर से मिलता है. लेकिन विकास कार्यों में खर्च टाउनशिप में किया जाता है. हमें वार्ड के लोगों ने चुनकर निगम भेजा है. विकास कार्य रुकने से आम जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ता है. सफाई विभाग के प्रभारी (एमआईसी) टाउनशिप में रहने वाले लक्ष्मीपति राजू को बनाया गया है. उनका कहना है कि लक्ष्मीपति राजू ने पिछले ढाई सालों में एक भी बार वैशाली नगर की गंदगी का जायजा नहीं लिया. इसी तरह पीडब्ल्यूडी की जिम्मेदारी सेक्टर 5 निवासी एकांक्ष बंछोर को दी गई. एकांक्ष बंछोर को वैशाली नगर क्षेत्र के विकास और वहां की समस्या से कोई वास्ता ही नहीं है. इसी तरह भवन अनुज्ञा विभाग का प्रभारी सेक्टर 6 निवासी साकेत चंद्राकर बना दिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहर सरकार बनते समय यह कहा था कि वैशाली नगर क्षेत्र में भी टाउनशिप की तर्ज पर विकास होना चाहिए, लेकिन यहां महापौर और विधायक ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया गया.

जिलाध्यक्ष बोले पार्षदों की नाराजगी दूर कर ली गई

सभी पार्षदों ने जब जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर को पार्टी से इस्तीफ़ा देने के लिए सम्पर्क किया. तब मुकेश चंद्राकर ने मेयर नीरज पाल के घर में भिलाई विधायक के साथ बैठक बुलाई. वहीं पर तीनो पार्षदों को बुलाया गया. तीनों पार्षदों ने वहां जाकर अपना-अपना इस्तीफा सौंप दिया. वहीं जिलाध्यक्ष मुकेश चन्द्राकर का कहना है कि पार्षदों अपने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने को.लेकर नाराज थे, सभी पार्षदों से चर्चा कर ली गई है.

नाराज पार्षद हरिओम बोले- नहीं होगा फैसला वापस

पार्षद हरिओम तिवारी ने बताया की उन्होंने अन्य दो पार्षदों के साथ इस्तीफा सौंप दिया है. जिलाध्यक्ष ने तीन दिन तक विचार विमर्श के बाद इस पर फैसला करने का समय मांगा है. लेकिन वे अपने फैसले को वापस नहीं लेंगे. उनके इस बैठक के बाद लगातार उनके मोबाइल पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के फोन आने लगे थे. इस मान मन्नौवल से परेशान होकर तीनो पार्षदों ने अपना फोन ही बंद कर दिया था.

वर्तमान में भिलाई निगम की दलीय समीकरण

भिलाई नगर पालिक निगम में भाजपा के 24 पार्षद हैं. वहीं सत्ता पक्ष पर बैठी कांग्रेस के पास 37 और निर्दलीय मिलाकर कुल 46 पार्षद थे. लेकिन फिलहाल निगम में कांग्रेस के दो पार्षदों की सदस्यता फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में समाप्त हो चुकी है. इसके बाद इनके पास निर्दलीय सहित कुल संख्या 44 पार्षद हैं. एमआईसी की बैठक के बाद से निर्दलीय में से 4 पार्षद और भाजपा के समर्थन में आ खड़े हुए हैं. ऐसे में भाजपा (विपक्ष) के 28 और कांग्रेस (सत्ता पक्ष) के पास 40 पार्षद हैं. यदि कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले तीनो पार्षद भाजपा में शामिल होते हैं तब तो भाजपा के पास संख्या बढ़कर 31 और कांग्रेस के पास मात्र 37 पार्षद रह जाएंगे. ऐसे में यदि विपक्ष की भाजपा शहर सरकार में महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये तब उन्हें बहुमत सिद्ध करने के लिए 10 पार्षदो को अपने पाले में लाना होगा, या क्रॉस वोटिंग कराना होगा.

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