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कर्बला में नसरल्लाह का जनाजा, जुमे की नमाज और खामेनेई का संबोधन… लेबनान-तेहरान तक इजरायली हमले का खौफ

नई दिल्ली

इजरायल मौजूदा समय में हिज्बुल्लाह और ईरान सहित कई मोर्चों पर जंग लड़ रहा है. ऐसे में शुक्रवार का दिन ईरान और हिज्बुल्लाह के लिए काफी अहम माना जा रहा है. एक ओर इजरायली हमले में मारे गए हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को आज ही दफनाया जाएगा. तो वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई जुमे की नमाज की अगुवाई करेंगे. वह नसरल्लाह के खात्मे के बाद पहली बार देश को संबोधित करेंगे.

खामेनेई मध्य तेहरान में इमाम खोमेनी ग्रांड मस्जिद में जुमे की नमाज की अगुवाई करेंगे. स्थानीय समयानुसार सुबह 10.30 बजे नसरल्लाह के सम्मान में एक सभा का भी आयोजन किया जाएगा.

गोपनीय ढंग से होगा नसरल्लाह का जनाजा!

नसरल्लाह के खात्मे के लगभग एक हफ्ते बाद आज उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. कहा जा रहा है कि कर्बला में उन्हें दफनाया जा सकता है. उनके सम्मान में सांकेतिक जनाजा निकलेगा. इजरायली हमले के खौफ की वजह से इसे सांकेतिक जनाजा बताया जा रहा है. इसे पूरी तरह से गोपनीय तरीके से निकालने की तैयारी है. एक बार स्थिति सामान्य होने पर नसरल्लाह के सम्मान में धार्मिक आयोजन किया जाएगा.

हिज्बुल्लाह ने अभी तक नसरल्लाह के जनाजे को लेकर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी है. इराक के प्रधानमंत्री के सलाहकार मोहम्मद शिया अल सुडानी ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि नसरल्लाह को कर्बला में इमाम हुसैन के बगल में दफनाया जाएगा. हालांकि, अटकलें ये भी हैं कि उनके शव को लेबनान, इराक के कर्बला या फिर ईरान के नजफ में भी दफनाया जा सकता है.

कर्बला ही क्यों?

दक्षिण बगदाद के कर्बला में इमाम हुसैन की कब्र है. इसी जगह पर नसरल्लाह को भी दफनाया जा सकता है. नसरल्लाह की ख्याति और उनके कद को देखते हुए उन्हें कर्बला में दफनाने की खबर है. बता दें कि कर्बला ही वह जगह है, जहां पैगंबर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन को दफनाया गया था. नसरल्लाह को आधुनिक समय का शहीद माना जाता है. पैगंबर मोहम्मद ने कर्बला को धरती पर स्वर्ग बताया था. शिया मुस्लिमों के लिए इस पवित्र जमीन पर दफन होने से बेहतर सम्मान कोई नहीं माना जाता. बता दें कि 80 के शुरुआती दशक में ईरान के नजफ में नसरल्लाह की पढ़ाई हुई थी. उनकी मौत को फिलिस्तीन के लिए सबसे बड़ा बलिदान माना जा रहा है.

दम घुटने से हुई थी नसरल्लाह की मौत

हसन नसरल्लाह की मौत जहरीले धुएं की वजह से दम घुटने से हुई थी. वह बेरूत में हिज्बुल्लाह के सीक्रेट बंकर में छिपे हुए थे, जहां 27 सितंबर को इजरायल के हमले में उनकी मौत हो गई. इजरायल के चैनल 12 ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इजरायली हमले में नसरल्लाह का सीक्रेट बंकर तबाह हो गया था, जिससे 64 साल के नसरल्लाह की जहरीले धुएं में दम घुटने से मौत हो गई.

रिपोर्ट में बताया गया था कि भारी विस्फोट की वजह से जहरीले धुएं के कारण बंकर के भीतर सांस लेना मुश्किल था. बता दें कि हसन नसरल्लाह जिस इमारत में था. उसके आसपास के ब्लॉक में इजरायल ने 80-85 बंकर बस्टर बम गिराए थे. बंकर बस्टर यानी जमीन की गहराई में बने अड्डों को खत्म करने वाले बम. ये सतह के काफी नीचे जाकर भी तबाही मचाते हैं.

नसरल्लाह जिस इमारत में था, वहां पर बम गिरने से 30 फीट गहरा गड्ढा हो गया था. जीबीयू-72 परिवार के बंकर बस्टर बम की खासियत यही होती है, कि ये स्टील, कॉन्क्रीट की मोटी दीवारों को तोड़कर 30 से 60 फीट की गहराई तक हमला कर सकते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटनास्थल से जब नसरल्लाह का शव बरामद किया गया तो उनके शव पर किसी तरह की बाहरी चोट के निशान नहीं थे. हिज्बुल्लाह ने अभी तक नसरल्लाह की मौत के कारणों पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

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