छत्तीसगढ़ में जमीन का बनेगा आधार कार्ड, जमीनों की धोखाधड़ी रोकने के लिए केंद्र सरकार जारी करेगी 11 अंकों का नंबर
रायपुर
आम आदमी के आधार कार्ड की तरह ही प्रदेश में अब हर जमीन की अपनी अलग पहचान होगी। केंद्र सरकार इसके लिए खास नंबर जारी करेगी। केंद्र ने इसे विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआइएन) नाम दिया गया है। इस नई पहचान के बावजूद जमीन के पुराने नंबर (खसरा आदि) रहेंगे। राजस्व विभाग के अफसरों के अनुसार यह केंद्र सरकार की योजना है। इसके तहत 2023-24 तक देशभर में सभी जमीन का 11 अंकों यूएलपीआइएन नंबर जारी किया जाना है। इसके जरिये जमीन से संबंधित धोखाधड़ी को रोकना आसान होगा। यूएलपीआइएन नंबर को लेकर राजस्व विभाग ने राज्य के सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के प्रत्येक भू-खंड को एक विशिष्ट संख्या दिया जाता है, जिसे खसरा नंबर के रूप में जाना जाता है। खसरा पांचसाला में खसरा नंबर से संबंधित भूमि के स्वामित्व इत्यादि का विवरण लिखा जाता है जो कि भुंइया साफ्टवेयर में भी दिखता है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक खसरा नंबर को जियोरिफ्रेस के बाद यूएलपीआइएन नंबर दिया जाना है, जिससे प्रत्येक भूखंड की वास्तविक स्थिति पूर्ण वितरण के साथ आसानी से उपलब्ध होगी। अफसरों का कहना है इस नंबर की सहायता से भूमि संबंधी महत्वपूर्ण विभागीय कार्यों का निष्पादन पारदर्शिता के साथ सरलतापूर्वक किया जा सकेगा। अफसरों के अनुसार इसके जरिये जमीन की धोखाधड़ी से संबंधित अपराधों को भी रोकने में मदद मिल सकती है। अफसरों के अनुसार, यूएलपीआइएन नंबर जारी करने के लिए हर जमीन का सेटेलाइट सर्वे और फाटोग्राफी होगी। जमीन के हर टुकड़े के अक्षांश और देशांतर के आधार पर उसकी पहचान तय की जाएगी और फिर उसे नंबर जारी किया जाएगा। देश के नागरिकों को जारी किए गए आधार नंबर की तरह हर जमीन का अलग नंबर और पहचान होगी। प्रदेश में जमीन के खसरा नंबर के आधार पर उसे भू-स्वामी के आधार नंबर से जोड़ने की प्रक्रिया पहले से चल रही है। शहरी क्षेत्रों में यह काम काफी हद तक हो चुका है। अब यूएलपीआइएन नंबर को भी भू-स्वामी के आधार और बैंक खाते से जोड़ा जाएगा। इससे सरकार की विभिन्न योजनाओं का सीधा लाभ उन्हें मिल सकेगा।