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ये था महंगाई का भयानक दौर… जब कुछ घंटे में डबल हो जाते थे सामान के रेट और ब्रेड खरीदने के लिए देने पड़ते थे 300 करोड़

आज के दौर में हर कोई महंगाई से परेशान है. जो सामान आप कुछ साल पहले तक 100 रुपये में खरीदते थे, अब उसके लिए आपको 150 रुपये तक चुकाने पड़ते हैं, जबकि कई चीजों के दाम तो दोगुना हो गए हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं विश्व में कई देशों ने तो महंगाई के ऐसे दौर देखें हैं, जब चीजों के सामान कई सालों में नहीं, बल्कि एक हफ्ते से कम समय में ही डबल हो जाते थे. साथ ही उन देशों में पैसे की इतनी वैल्यू गिर गई थी कि घर का थोड़ा सा सामान लाने के लिए एक बोरा भरकर पैसा लेकर जाना पड़ता था. ऐसे में जानते हैं कि इस तरह के महंगाई के दौर को किन-किन देशों ने झेला है और उस दौरान उन देशों में क्या स्थितियां थीं. साथ ही जानेंगे नोट से जुड़े वो किस्से, जिनके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा…

1923 में जर्मनी में था महंगाई का कहर
साल 1923 में जर्मनी में काफी महंगाई बढ़ गई थी और महंगाई बढ़ने की रेट इतनी ज्यादा थी कि हर एक दो दिन में सामान की कीमतें काफी ज्यादा हो जा रही थीं. यहां महंगाई की वजह से मुद्रा की कीमत भी काफी कम हो गई थी. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उस वक्त जर्मनी की करेंसी ने अपनी पूरी कीमत खो दी थी और उस समय जर्मनी में महंगाई दर 29500 फीसदी प्रति महीने थी. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां किस स्पीड से महंगाई बढ़ रही होगी और पैसे की वैल्यू कम हो गई होगी.

मंहगाई इतनी स्पीड से बढ़ी कि अगर कोई लाइन में खड़ा है, जब तक उसका नंबर आएगा तब तक सामान के दाम बढ़ जाते थे. एक समय बाद ब्रेड के पैकेट के लिए करोड़ों रुपये देने पड़ते थे. कहा जाता है कि ब्रेड के लिए 300 करोड़ तो मीट के लिए 3600 करोड़ देने होते थे.

बताया जाता है कि उस दौर में कीमतें औसतन हर 3 दिन में दोगुनी हो रही थीं. आंकड़ों की मानें तो साल 1914 में एक डॉलर 4.2 जर्मन करेंसी मार्क के बराबर था, लेकिन करीब 9 साल बाद ये हालात हुई कि अगस्त 1923 में 1 डॉलर 10 लाख मार्क के बराबर हो गया. वहीं अक्टूबर तक 1 डॉलर के लिए 23.8 करोड़ जर्मन मुद्रा चुकानी पड़ रही थी. जिनके पास काफी पैसा था, वो भी अपने आपको गरीब समझ रहे थे. यहां तक लोगों के पास खिलौने के लिए पैसे नहीं थे और पैसे की वैल्यू इतनी कम थी कि बच्चे पैसे की गड्डी से खेलते थे.

अन्य देश में भी बदले थे हालात
जर्मनी के अलावा, साल 1946 में हंगरी में महंगाई से ऐसे हालात हो गए थे. 1946 में महंगाई दर 195 फीसदी प्रति दिन के हिसाब से बढ़ी थी, इसका अंदाजा लगाएं तो एक दिन पूरा होने से पहले से कीमत डबल हो जा रही थी. एक सामान खरीदने के लिए बोरा भरकर पैसा लेकर जाना पड़ता था. डॉलर के सामने पैसा काफी हद तक गिर गया था. ऐसा यूगोस्लाविया में साल 1994 में हुआ, जब महंगाई 65 फीसदी प्रति दिन के स्तर पर पहुंच गई. दो दिन में सामान के दाम डबल हो रहे थे. इसमें एक बार पुरानी करेंसी दिनार के 10 लाख यूनिट को 1 नए दिनार में बदला गया था.

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