यूपी में बड़ा फैसला, नोटबंदी की तरह ओल्ड स्टाम्प पेपर चलन से बाहर, क्या आपके पुराने लीगल दस्तावेज अमान्य हो जाएंगे?

लखनऊ
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजय में स्टाम्प पेपर प्रणाली को लेकर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिया है. योगी आदित्यनाथ की मंत्रिपरिषद ने 10,000 से 25,000 रुपये तक के भौतिक स्टाम्प पेपर को चलन से बाहर करने का फैसला लिया है. इस निर्णय के तहत अब इन पुराने स्टाम्प पेपर्स के स्थान पर ई-स्टाम्प का उपयोग किया जाएगा. यह कदम प्रदेश में स्टाम्प प्रणाली में पारदर्शिता लाने और वित्तीय गड़बड़ियों को रोकने के लिए उठाया गया है.
दरअसल, सोमवार को योगी सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जिसमें 19 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इनमें एक फैसला स्टाम्प पेपर को लेकर भी था. इसके तहत मंत्रिपरिषद ने 10 से 25000 मूल्य तक के भौतिक स्टाम्प पेपर को चलन से बाहर करने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो पुराने भौतिक स्टाम्प पेपर अभी चलन में हैं, वे 31 मार्च 2025 तक मान्य होंगे. उसके बाद, इन स्टाम्प पेपर्स को स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास पुराने स्टाम्प पेपर हैं, तो उन्हें 31 मार्च 2025 तक ही प्रयोग में लाया जा सकता है. इसके बाद आपको इनका बदला हुआ रूप यानी ई-स्टाम्प ही खरीदने को मिलेगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बदलाव के साथ एक और महत्वपूर्ण घोषणा की है. सरकार ने निर्णय लिया है कि 5,630 करोड़ रुपये से अधिक के पुराने स्टाम्प पेपर्स को बीड आउट यानि बिक्री से बाहर किया जाएगा. इसका मतलब यह है कि इन पुराने स्टाम्प पेपर्स को अब कोई भी न खरीद सकेगा और ये सिस्टम से बाहर हो जाएंगे.
बता दें कि ई-स्टाम्प प्रणाली के लागू होने से कई फायदे होंगे. सबसे पहले, यह प्रणाली पारदर्शिता को बढ़ाएगी और वित्तीय गड़बड़ियों को रोकेगी. भौतिक स्टाम्प पेपर्स के साथ अक्सर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज़ और कर चोरी के मामले सामने आते रहते हैं, जिन्हें ई-स्टाम्प प्रणाली से रोका जा सकेगा. ई-स्टाम्प से संबंधित सभी लेन-देन डिजिटली रिकॉर्ड किए जाएंगे, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को तुरंत पकड़ा जा सकेगा. ई-स्टाम्प के जरिये सरकारी खजाने को भी लाभ होगा, क्योंकि स्टाम्प पेपर की खरीद-फरोख्त पूरी तरह से डिजिटल होगी.