साक्षरता परीक्षा की खानापूर्ति, सास की जगह बहू ने दी परीक्षा, बच्चे भरते नजर आए पर्चा

राजनांदगाव। उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम अंतर्गत बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा का आयोजन राजनांदगांव जिले में खानापूर्ति नजर आया। यहां पर दादा-दादी, नाना-नानी का पर्चा स्कूली बच्चे भरते नजर आये।
साक्षरता कार्यक्रम में अंतर्गत आयोजित परीक्षा का उद्देश्य असाक्षर लोगों को साक्षरता की ओर ले जाना था। इसके लिए ऐसे असाक्षर लोगों की तलाश की गई थी जिन्होंने स्कूली शिक्षा ग्रहण नहीं की है। इसमें 14 वर्ष से अधिक आयु के सभी को शामिल किया गया । लेकिन यह परीक्षा केवल औपचारिकता ही नजर आ रही है । इस परीक्षा में असाक्षरों की जगह 10वीं 11वीं के बच्चे प्रश्न पत्र हल करते नजर आए। राजनांदगांव शहर के समीप शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में 22 असाक्षर लोगों का पंजीयन इस साक्षरता परीक्षा के लिए किया गया था। इसमें से एक परीक्षार्थी का देहावसान होने के बाद यहां 21 परीक्षार्थियों को परीक्षा देना था, लेकिन इस परीक्षा केंद्र में 21 परीक्षार्थियों की जगह 21 प्रश्न पत्र एक जगह ही कक्षा, नवमीं, दसवीं और ग्यारवीं के विद्यार्थी हल करते दिखाई दिए। स्कूल प्रबंधन द्वारा आनन-फानन में गांव की कुछ महिलाओं को परीक्षा देने के लिए बुला दिया गया। जिन्हें यह तक नहीं मालूम था कि वह यहां परीक्षा देने पहुंची है ।इस परीक्षा केंद्र में कई ऐसी भी बुजुर्ग महिलाएं थी जिन्हें अक्षर का ज्ञान भी नहीं था। इन महिलाओं को पढ़ाया भी नहीं गया जबकि 120 घंटे की पढ़ाई इसके लिए अनिवार्य की गई थी ।
गठुला के इस परीक्षा केंद्र में 12वीं पास बहू भी अपनी की जगह स्वयं परीक्षा देने पहुंच गई। परीक्षा देने पहुंची अधिकांश महिलाएं अक्षर भी नहीं पढ़ पा रही थी। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गठुला के प्रधान पाठक ने बताया कि बीते वर्ष 94 असाक्षर लोगों का पंजीयन किया गया था । जिसमें से 72 लोगों ने परीक्षा दी थी । 22 लोग बच गए थे। उन्हे इस वर्ष परीक्षा दिलाई जा रही है।




