छत्तीसगढ़ की बेटी संजू देवी का कमाल, भारतीय कबड्डी टीम को दिलाया वर्ल्ड कप, बनीं मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर

रायपुर/दुर्ग/कोरबा: छत्तीसगढ़ की होनहार बेटी संजू देवी ने अपने शानदार प्रदर्शन से भारतीय महिला कबड्डी टीम को लगातार दूसरी बार कबड्डी वर्ल्ड कप का खिताब दिलाया है. ढाका में 15 से 25 नवंबर तक आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत ने फाइनल मुकाबले में चीनी ताइपे को हराकर खिताब अपने नाम किया.
जीत के बाद 26 तारीख को संजू रायपुर पहुंची हैं, जहां उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भेंट कर शुभकामनाएं दी. वहीं इसके बाद संजू देवी बुधवार को दुर्ग सांसद विजय बघेल से मुलाकात करने सेक्टर-5 निवास भी पहुंचीं, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर पहले ही टीम को शुभकामनाएं दे चुके हैं.
इंडिया टीम की कबड्डी खिलाड़ी संजू देवी ने कहा कि वर्ल्ड कप जीतना आसान नहीं था और इसका श्रेय वे अपनी पूरी टीम, कोच और माता-पिता को देती हैं. उन्होंने बताया कि टूर्नामेंट में कुल 11 टीमों के खिलाफ मुकाबले हुए और सभी मैच चुनौतीपूर्ण रहे. संजू ने प्रदेश की बेटियों को भी संदेश दिया.
मार्च 2025 में आयोजित 6वीं महिला एशियन कबड्डी चैम्पियनशिप (ईरान) में भी संजू देवी ने स्वर्ण पदक जीता था. इसके दम पर उन्होंने वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया. बिलासपुर स्थित बालिका आवासीय कबड्डी अकादमी की खिलाड़ी संजू देवी ने टूर्नामेंट के पहले ही मैच से अपने इरादे साफ कर दिए थे. उनके दमदार खेल का नतीजा यह रहा कि उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ चुना गया.
टीम ने कबड्डी के खेल अपना दबदबा कायम रखते हुए पिछले सोमवार को लगातार दूसरी बार कबड्डी वर्ल्ड कप जीता है. फाइनल में भारतीय महिला टीम ने चीनी ताइपे को 35-28 से मात दी. खास बात भारतीय टीम ने अजेय रहते हुए खिताब जीता है. इससे पहले, 2012 में टूर्नामेंट की मेजबानी भारत ने की थी, पटना में सारे मैच हुए थे.
कोरबा की रहने वाली हैं संजू: कोरबा जिले के दूरस्थ पाली ब्लॉक के एक गांव से निकली 23 साल की संजू देवी देश-विदेश में छा गई हैं. बांग्लादेश के ढाका में महिला कबड्डी विश्वकप में वे ना सिर्फ भारतीय टीम की सदस्य रहीं बल्कि उन्हें मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी चुना गया है. संजू का सफर अब दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहा है.
संजू के पिता हैं किसान: संजू के पिता गांव केराकछार निवासी रामजी यादव पेशे से किसान हैं. जीवन बेहद सामान्य स्तर का है. संजू के पिता का कहना है कि हमने हमेशा ही गरीबी में गुजारा किया है. संजू ने पढ़ाई गांव से ही हुई है. बेटी शुरू से ही कबड्डी खेल रही थी. इसके बाद बिलासपुर के अकादमी गई, बेटी को कभी रोका नहीं, जो वह चाहती है, जिसमें उसकी रुचि है उसे वह करने दिया. लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि विश्व विजेता टीम में वो इतना अच्छा मुकाम हासिल करेगी. संजू के प्रदर्शन के बाद पूरे परिवार में खुशी की लहर है. गांव में समाज वाले, ग्रामीण सभी रिश्तेदार उसके स्वागत की तैयारी कर रहे हैं.




