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अजब! भारत में बहने वाली इस नदी के एक तट पर भारतीय, दूसरे पर विदेशी महिलाएं करती हैं छठ

सीतामढ़ी

भारत-नेपाल सीमा पर बिहार का सीतामढ़ी जिला है। इस जिले का सोनबरसा प्रखंड नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ है। दोनों देशों की सीमा से एक नदी गुजरती है। इस नदी का महत्व तब बढ़ जाता है, जब इसके एक किनारे भारतीय क्षेत्र और दूसरे तट पर नेपाली क्षेत्र की व्रती छठ व्रत करती हैं। ये नजारा बहुत ही अद्भुत और अविस्मरणीय होता है। इस नदी का नाम है झीम। झीम नदी के किनारे छठ पूजा के लिए घाट तैयार कर चुके हैं। व्रतियों की सेवा और सुरक्षा का इंतजाम दोनों देशों के स्थानीय प्रशासन की ओर से किया जाता है।

शादी कर नेपाल गईं महिलाएं करती हैं छठ
दरअसल सीतामढ़ी समेत इसके आसपास के जिलों की हजारों लड़कियों की शादी भारतीय सीमा से सटे नेपाल के गांवों में हुई है। इसी कारण भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध कहा जाता है। भले ही नेपाल में छठ पर्व नहीं किया जाता है, वहां के लोगों को इस पर्व की महत्ता मालूम न हो, लेकिन भारतीय सीमा से ब्याह कर नेपाल में गई महिलाएं वहां छठ पर्व की अलख जगा चुकी हैं। शादी के बाद भारत से वहां गई महिलाएं अधिकतर छठ करती हैं। अब नेपाल की भी अन्य महिलाएं छठ करने लगी हैं।

झीम नदी पर होती है पूजा
सीतामढ़ी जिले का सोनबरसा प्रखंड इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित है। बॉर्डर पर ही झीम नदी है। नदी नेपाल से निकलती है और भारतीय क्षेत्र के सीतामढ़ी जिले के विभिन्न प्रखंडों से गुजरते हुए मुजफ्फरपुर की ओर जाती है।

छठ पर सुरक्षा का इंतजाम करता है दोनों देशों का स्थानीय पुलिस प्रशासन
सोनबरसा में इसी नदी के एक तट पर सोनबरसा प्रखंड की सोनबरसा पंचायत की महिलाएं और नदी के दूसरी ओर नेपाल के सर्लाही जिला के त्रिभुवन गांव की महिलाएं छठ पर्व करती है। व्रतियों की सेवा एवं सुरक्षा का इंतजाम दोनों देशों के स्थानीय पुलिस प्रशासन व सशक्त सीमा बलों की ओर से किया जाता है।

भारत-नेपाल के मधुर संबंध का प्रतीक है एक साथ छठ मनाना
खास बात यह कि हर वर्ष शांतिपूर्वक बिना किसी व्यवधान के छठ पर्व संपन्न होता है। पूरे उत्साह के साथ व्रतियों की ओर से पर्व मनाया जाता है। नदी के दोनों तटों पर बड़ी संख्या में महिला-पुरुष रहते है। घाट का नजारा अद्भुत होता है। सोनबरसा बीडीओ सत्येन्द्र कुमार यादव, सीओ संदीप कुमार और थानाध्यक्ष शंभूनाथ सिंह ने बताया कि यहां का छठ पर्व अद्भुत है, जो उन्हें पहली बार झीम नदी के तट पर दोनों देशों के छठव्रतियों को देखने का मौका मिलेगा। यह दोनों देशों के आपसी भाईचारा, प्रेम और स्नेह का प्रतीक भी है।

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