कोरबा नगर पालिका निगम में हंगामे के बीच 1 वोट से पास हुआ 904 करोड़ का बजट, विपक्ष ने दिखाया जादू का पिटारा!
कोरबा
नगर पालिका निगम की बहुप्रतिशत सामान्य सभा का शुक्रवार का आयोजन हुआ. जहां पक्ष और विपक्ष की तीखी नोक झोंक और हंगामें के बीच शहर विकास के लिए 904 करोड़ रुपए का ऐतिहासिक बजट पारित किया गया. सत्ता पक्ष ने शहर के विकास के मद्देनजर जनहितैषी बजट करार दिया जबकि विपक्ष ने इसे नगर पालिका निगम में काबिज कांग्रेस की सत्ता का दुरुपयोग कर जनविरोधी बजट पारित करने का आरोप भी लगाया.
महापौर राजकिशोर प्रसाद ने अपने कार्यकाल का पांचवा और अंतिम बजट पेश किया. इसमें सभी वार्ड में सड़कों को मरम्मत, चौक-चौराहा का कायाकल्प, सौंदर्यीकरण, साफ-सफाई, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के निपटारा पर जोर दिया गया है. इस साल भी नगर निगम ने कर में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की है. टैक्स को ऑनलाइन जमा करने की प्रक्रिया सभी वार्डों में शुरू करने की बात भी हुई है.
भवन के नाम को लेकर पक्ष विपक्ष में नोक झोंक : नगर निगम में सामान्य सभा की कार्रवाई नवनिर्मित पंडित जवाहरलाल नेहरू भवन में हुई. सभा शुरू होते ही पक्ष-विपक्ष के बीच नोंकझोंक देखने को मिली. सदन की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्ष ने निगम के नए सभागार के नामकरण को लेकर आपत्ति दर्ज कराई. तब महापौर ने कहा कि “सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय के आधार पर नए हॉल का नामकरण किया गया है.” इसके बाद एक-एक कर सभी एजेंडों पर चर्चा शुरू हुई.
बजट में इन कार्यों पर फोकस : वित्तीय वर्ष 2024-२5 के लिए 904 करोड़ 78 लाख रुपए का बजट पेश किया गया है. बजट का अधिकांश हिस्सा शासकीय योजना के क्रियान्वयन, नगर निगम में सड़कों की मरम्मत, नालियों का निर्माण और साफ-सफाई, जलप्रदाय, स्ट्रीट लाइट और सौंदर्यीकरण पर खर्च होंगे.
बीते वर्ष में निगम के पास 370 करोड़ रुपए का प्रारंभिक अवशेष है. बजट भाषण के बाद महापौर ने सभा से इस बजट को सर्वसम्मति से स्वीकृत करने का आह्वान किया.
सभापति के एक वोट से पारित हुआ बजट : बजट प्रस्ताव आते ही विपक्षी पार्षदों ने विरोध शुरू कर दिया. कहा गया कि इस बजट में शहर के विकास को लेकर कुछ भी नही है. भारी हंगामा और शोर-शराबा के बीच सभापति श्याम सुंदर सोनी ने बजट के पक्ष और विपक्ष में पार्षदों का राय जानने के लिए मत विभाजन कराया. कांग्रेस की तरफ से बजट के समर्थन में 26 पार्षदों ने हाथ उठाया. विपक्ष के भी 26 पार्षदों ने बजट का विरोध किया. तब सभापति ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और बजट के पक्ष में अपना वोट दिया, तब जाकर बजट पारित हुआ.
नेता प्रतिपक्ष ने जादुई पिटारा दिखाया : सदन में नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल महापौर को घेरने के लिए जादुई पिटारा नाम का एक बॉक्स लेकर पहुंचे थे.
बॉक्स में गंदा पानी, राखड़ और कचरा भरा था. हितानंद ने कहा कि “जनता इन सब से परेशान हैं. लेकिन महापौर समस्या से शहर के लोगों को निजात नहीं दिला पा रहे हैं. सत्ता पक्ष में अपनी सत्ता का दुरुपयोग करते हुए जनविरोधी बजट पारित कराया है. जनता इन्हें सबक सिखाएगी.”
नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा- हैरानी वाली बात यह है कि बजट में महापौर ने दिखाया कि उनके पास पिछले साल के 370 करोड़ रुपए बचे हुए हैं. जबकि हमारे पार्षद जब किसी विकास कार्य का प्रस्ताव लेकर जाते हैं, तो फंड का रोना रोया जाता है. यह बेहद आपत्तिजनक है.” इसी तरह भाजपा के पार्षद नरेंद्र ने कहा कि “बजट में कुछ भी खास नहीं है. यह पूरी तरह से झुनझुना थमाने वाला बजट है. जिसमें कोई खास बात नहीं है. 800 करोड़ 900 करोड़ का ढिंढोरा पीटा जाता है. लेकिन धरातल पर 8 करोड रुपए भी खर्च नहीं किए जाते. कोई काम नहीं होता, इसलिए निगम का बजट पूरी तरह से फिसड्डी ही है.”
शहर के विकास को ध्यान में रखकर बनाया बजट : महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि ठशहर के विकास को ध्यान में रखते हुए बजट बनाया गया है. जिसमें संधारण, मरम्मत के काम होंगे, खेलकूद के लिए राशि का आवंटन किया गया है. सौंदर्यीकरण के साथ ही सड़क, नाली और पानी के लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं. शहर के विकास के लिए बजट तैयार किया गया है. जिसे सर्वसम्मती से पारित किया गया.
सत्ता पक्ष के ही पार्षद सुरेंद्र जायसवाल ने सदन में जल आवर्धन योजना का काम करने वाले ठेकेदार को पूर्णता प्रमाण पत्र दिए जाने पर सवाल उठाया. जायसवाल ने कहा कि काम पूरा किए बिना ही भिलाई के ठेकेदार को पूर्णता प्रमाण पत्र दे दिया गया है. इसमें करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है. इसके लिए अधिकारी के जवाबदेही तय करने की बात कही है. पक्ष विपक्ष सभी ने संबंधित अधिकारी को निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया है.