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प्रीडेटर ड्रोन डील के बीच अमेरिका का बड़ा ऑफर…एडवांस ड्रोन बनाने में मदद की पेशकश, चीन-पाकिस्तान के उड़े होश

नई दिल्ली

भारत और अमेरिका के बीच प्रीडेटर ड्रोन सौदे को लेकर कई सालों से चर्चा हो रही है, इस बीच अमेरिका ने एडवांस ड्रोन बनाने के लिए भारत को मदद की पेशकश की है. इस डील के तहत भारतीय सेनाओं को 31 MQ 9B प्रीडेटर ड्रोन मिलेंगे. भारत और अमेरिका के बीच इस डील को फाइनल करने के लिए लंबे समय से बातचीत चल रही है. अमेरिका के साथ ड्रोन सौदे के अनुसार 31 MQ-9B ड्रोन खरीदे जा रहे हैं, जिनमें से 15 समुद्री क्षेत्र की कवरेज के लिए होंगे और भारतीय नौसेना इनकी तैनाती करेगी. वहीं वायुसेना और थल सेना के पास ऐसे 8-8 हाईटेक ड्रोन होंगे जो LAC के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात होंगे.

DAC की बैठक में मिल सकती है मंजूरी
रक्षा सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के इस प्रस्ताव पर आज होने वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में चर्चा और मंजूरी के लिए विचार किया जा सकता है. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में यह DAC की पहली बैठक होगी, राजनाथ सिंह के नेतृत्व में होने वाली इस बैठक में रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. अगर भारत और अमेरिका के बीच यह डील फाइनल हो जाती है तो भारत में उन्नत ड्रोन बनाने में लगने वाले समय में काफी कमी आ सकती है. सूत्रों के अनुसार इस सौदे में शामिल अमेरिकी फर्म जनरल एटॉमिक्स है, जिसके अधिकारियों ने पिछले कुछ हफ्तों में इसे लेकर भारतीय पक्ष के साथ चर्चा की है. ड्रोन सौदा तीनों सेनाओं के स्तर पर किया जा रहा है, जिसमें भारतीय नौसेना बातचीत का नेतृत्व कर रही है.

धरती-जल-नभ में बढ़ेगी सुरक्षा
प्रीडेटर ड्रोन दो तरह के होते हैं, एक है MQ-9B सीगार्जियन और दूसरा है MQ-9B स्काईगार्जियन. जैसा कि इसके नाम से ही दोनों का अंतर भी साफ है, सीगार्जियन समुद्र के ऊपर निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो वहीं स्काईगार्जियन का इस्तेमाल जमीनी क्षेत्र के आसमान में किया जाता है. प्रीडेटर ड्रोन को उड़ान भरने और उतरने के लिए एक लंबे रनवे की जरूरत होती है, जो भारतीय वायु सेना के पास उपलब्ध है.

दुश्मन का ‘काल’ है प्रीडेटर ड्रोन
प्रीडेटर ड्रोन की खासियत की बात की जाए तो यह 40 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर 36 घंटे से अधिक देरी तक उड़ान भर सकता है. इसका इस्तेमाल निगरानी और जासूसी मिशन में किया जा सकता है. ये ड्रोन एयर टू ग्राउंड मिसाइलों और स्मार्ट बम से लैस हो सकते हैं. यह 1700 किलो से ज्यादा वजन के हथियार लेकर उड़ान भरने की क्षमता रखता है. साथ ही यह सर्विलांस और हमले के लिहाज से बेहतरीन है और हवा से जमीन पर सटीक हमला करने में भी सक्षम है.

इसके अलावा प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल सैन्य ऑपरेशन में भी किया जा सकता है, नौसेना इससे जमीन पर रखे हथियारों और दुश्मन की पनडुब्बियों को नष्ट कर सकती है. इससे लॉन्ग रेंज इंटेलिजेंस गैदरिंग और सर्विलांस के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. प्रीडेटर ड्रोन हवाई हमलों को रोकने और मानवीय मदद पहुंचाने का भी काम करने में सक्षम होते हैं.

चीन-पाकिस्तान की नापाक हरकत पर नज़र
इस ड्रोन सौदे की अनुमानित लागत 4 अरब डॉलर (लगभग 33 हजार करोड़ रुपये) है, लेकिन भारत इसे कम करना चाहता है. इस डील का ऐलान जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान किया गया था. इस उन्नत ड्रोन के भारतीय सेना में शामिल होने से निगरानी और गश्ती क्षमता बढ़ेगी, खासकर हिंद महासागर और चीन-पाकिस्तान की हरकतों पर नज़र रखने में यह काफी मदद करेगा. इसके अलावा जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों के बाद जिस तरह से घने जंगलों में छिप जाते हैं, ऐसे में उन आतंकियों की तलाशी और टारगेट करने में भी यह सुरक्षाबलों के लिए मददगार साबित होगा.

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