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देश में अगले साल से शुरू होगी जनगणना! लोकसभा सीटों के परिसीमन का साफ होगा रास्ता

2021 में कोविड की वजह से टालनी पड़ी थी जनगणना
2025 से 2026 तक देशभर में होगी लोगों की गिनती
जनगणना के बाद शुरू होगा लोकसभा सीटों का परिसीमन

नई दिल्ली

देश में अगले साल से जनगणना की शुरुआत हो सकती है। मीडिया रिपोर्टे में सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार यह जनगणना 2025 से शुरू होकर 2026 तक चलेगी। संप्रदाय के आधार पर भी जनगणना कराए जाने पर विचार हो रहा है। जनगणना के बाद लोकसभा सीटों की परिसीमन का रास्ता साफ हो जाएगा।

2026 में जारी होगी रिपोर्ट
भारत में पिछली बार जनगणना 2011 में दर्ज की गई थी। इसका अगला चरण 2021 में शुरू होना था, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण इसमें देरी हो गई। इसके बाद से जनगणना को लेकर कई सवाल पूछे जा रहे हैं कि अगली जनगणना के आंकड़े कब प्रकाशित किए जाएंगे। अब, केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अगली जनगणना के आंकड़े 2026 में उपलब्ध होंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जनगणना के डेटा रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया 2025 में शुरू होगी और रिपोर्ट 2026 में प्रकाशित की जाएगी।

लोकसभा सीटों का होगा परिसीमन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब जनगणना का चक्र भी बदल जाएगा। हर 10 साल में होने वाली जनगणना अब 2035 में होगी। अब तक हर 10 साल में होने वाली जनगणना दशक की शुरुआत में होती थी। सूत्रों ने बताया कि जनगणना पूरी होने के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन शुरू होगा। परिसीमन की प्रक्रिया 2028 तक पूरी होने की उम्मीद है। इस बीच, सरकार ने अभी तक जाति जनगणना पर फैसला नहीं लिया है, जिसकी मांग कई विपक्षी दल कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि जनगणना में धर्म और वर्ग को ध्यान में रखा जाता है, लेकिन इस बार लोगों से यह भी पूछा जा सकता है कि वे किस संप्रदाय को मानते हैं।

1872 में हुई थी पहली जनगणना
भारत की जनगणना हर दशक में दर्ज की जाती है, पहली जनगणना 1872 में हुई थी। स्वतंत्रता के बाद पहली जनगणना 1951 में और आखिरी जनगणना 2011 में दर्ज की गई थी। जनगणना के आंकड़े भारत सरकार के लिए नीति निर्माण और कार्यान्वयन तथा देश में संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जनगणना जनसंख्या, जनसांख्यिकी, आर्थिक स्थिति आदि सहित कई पहलुओं पर प्रकाश डालती है। 2011 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121.1 करोड़ है, जिसमें 52 प्रतिशत पुरुष और 48 प्रतिशत महिलाएं हैं।

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