छत्तीसगढ़

पागल कुत्ते के काटने से फैला रेबीज, बच्चे की मौत:परिजन करा रहे थे झाड़फूंक और जड़ी बूटी से इलाज

अंबिकापुर। पागल कुत्ते के काटने के बाद पांच वर्षीय बच्चे के परिजन उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के बजाय झाड़फूंक और जड़ी-बूटी से इलाज करा रहे थे। 50 दिनों बाद बच्चे की मौत हो गई। अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पीड़ित बच्चे का इलाज चल रहा था। रेबीज के लक्षण सामने आने के बाद परिजन उसे लेकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल पहुंचे थे। सरगुजा के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में हर साल 200 से अधिक लोग कुत्तों के काटने पर इलाज के लिए पहुंचते हैं।

जानकारी के मुताबिक, बलरामपुर जिले के राजपुर थाना अंतर्गत ग्राम कर्रा निवासी बलिंदर उरांव के 5 वर्षीय बेटे अभिषेक लकड़ा को 15 दिसंबर की सुबह 7.00 बजे घर के बाहर खेलने के दौरान पागल कुत्ते ने काट लिया था। कुत्ते के काटने पर बच्चे के पैर में घाव हो गया था। परिजन उसका झाड़फूंक और जड़ी-बूटी से इलाज करा रहे थे। कुछ दिनों बाद बच्चे में रेबीज का असर दिखने लगा।

तबियत बिगड़ी तो लेकर पहुंचे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल 6 फरवरी की दोपहर अभिषेक लकड़ा के पैर में दर्द होने लगा और उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी तो परिवार के लोग उसे निजी वाहन से लेकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल पहुंचे। अभिषेक लकड़ा अजीब हरकत करने लगा था। उसे तेज बुखार भी था।

चिकित्सकों ने पूछताछ की तो परिजनों ने उसे पागत कुत्ते द्वारा काटने की जानकारी दी। हॉस्पिटल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। बच्चे का शव परिजनों को सौंप दिया गया है।

चिकित्सकों के अनुसार अभिषेक लकड़ा को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लाया गया था, तब तक रेबीज पूरी तरह से फैल चुका था और उसे बचाया नहीं जा सकता था।

हर साल आते हैं 200 से अधिक मामले मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल अंबिकापुर में हर साल कुत्तों के काटने के 200 से अधिक मामले आते हैं। इसके अलावे सामुदायिक स्वाथ्स्य केंद्रों में भी एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है। अन्य जानवरों के काटने के मामलों में भी एंटी रेबीज दिया जाता है। इसके आंकड़े पृथक हैं।

टीकाकरण या त्वरित उपचार से बचाई जा सकती है जान पशु चिकित्सक डा. सीके मिश्रा ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी से समय पर टीकाकरण करवा कर बचाव किया जा सकता है। जानवरों के काटने की स्थिति में तत्काल एंटी रेबीज से इसका शत-प्रतिशत इलाज संभव है। इसे लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यक्ता है।

रेबीज एक वायरल डिसऑर्डर है। यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यह रेबीज से प्रभावित जानवरों के काटने, खरोंचने या म्यूकोसा के माध्यम से इसका संचार होता है।

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