‘हम अब कभी कश्मीर नहीं जाएंगे’, पहलगाम हमले में बाल-बाल बचे दंपति ने बताई खौफनाक आपबीती

जयपुर
पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। जिन लोगों ने हमले में अपनों को खोया, उन्हें जीवनभर ये घटना परेशान करेगी, लेकिन साथ ही कई लोग ऐसे भी हैं, जो इस हमले में बाल-बाल बच तो गए, लेकिन इस हमले की भयावहता उनके साथ भी जीवनभर रहेगी। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं जयपुर के एक दंपति मिहिर सोनी और कोमल। दोनों पहलगाम हमले के वक्त मौके पर मौजूद थे और कुछ कदमों की दूरी से आतंकियों की गोली का शिकार होने से बच गए।
‘हमले के वक्त कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था’
मिहिर और कोमल बुधवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मिहिर सोनी ने घटना को याद करते हुए बताया कि ‘हम पहलगाम पहुंचे ही थे, सब कुछ ठीक था। हमने भेलपुरी ली और एक कोने में बैठकर खाने लगे। तभी अचानक गोलियां चलने की आवाजें सुनाईं देने लगीं, लोग चीख रहे थे और इधर-उधर भाग रहे थे।’ मिहिर और उनकी पत्नी ने किसी तरह से छिपकर अपनी जान बचाई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मिहिर ने बताया कि जब आतंकियों का हमला हुआ, उस वक्त वहां कोई पुलिसकर्मी या सेना के जवान मौजूद नहीं थे।
‘पहलगाम तक नहीं दिखा कोई सुरक्षाकर्मी’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मिहिर की पत्नी कोमल ने भावुक होते हुए कहा कि ‘अब हम कभी कश्मीर नहीं जाएंगे। हम खुद को बहुत भाग्यशाली मानते हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘हमले के समय हम सिर्फ 10 कदम दूर थे। हमने तुरंत 4 हजार रुपये में घोड़े लिए और वहां से तुरंत निकल आए। पहलगाम पहुंचने तक कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था और कोई मदद नहीं मिली। जब हम पहलगाम पहुंचे, तभी सुरक्षाकर्मियों को हमले की जानकारी हुई।’
स्थानीय लोगों ने की मदद
महाराष्ट्र के नांदेड़ के साक्षी और कृष्णा लोलगे ने बताया कि पहलगाम में जब हमला हुआ, तो उसी समय के करीब वो लोग भी वहां थे। साक्षी ने बताया कि हमले से 15-20 मिनट पहले ही हम वहां थे। जब हमने गोलियों की आवाज सुनी तो हम वहां से कुछ दूर निकल आए थे। दोनों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने उन्हें जल्द होटल पहुंचाने में बहुत मदद की। पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में भारत सरकार ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बुधवार शाम को हुई सीसीएस की बैठक में सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि समझौता स्थगित करने का फैसला किया है।