अकलतरा विधायक ने बाना परसाही में मुक्तिधाम बनाने पांच लाख स्वीकृत किया

बुचीहरदी में मुक्तिधाम बना पांच लाख दिए थे विधायक ने
जांजगीर-चांपा। अकलतरा के संवेदनशील विधायक राघवेन्द्र सिंह बाना परसाही मे अस्थाई मुक्तिधाम में पन्नी तानकर शव जलाए जाने की खबर पढ़कर स्वत: संज्ञान लिया और सरपंच पति को बुला कर पांच लाख की राशि स्वीकृत कर दिया है । यह भी विदित हो कि पिछले वर्ष इसी तरह की खबर बुचीहरदी में भी देखने मिली थी और जहां पन्नी को चारों कोनों में पकड़कर लोग चिता को जला रहे हैं । इस खबर को पढकर विधायक अकलतरा राघवेन्द्र सिंह ने सरपंच को संपर्क कर जानकारी ली और वहां संज्ञान लेते हुए पांच लाख की राशि स्वीकृत की गई थी जिससे मुक्तिधाम बनाया गया है और अब बुचीहरदी में लोगों को शव का अंतिम संस्कार करने में तकलीफ़ नहीं उठानी पड़ रही है । बुचीहरदी और बाना परसाही के लोगों ने विधायक राघवेंद्र सिंह को धन्यवाद दिया है । विदित हो कि अकलतरा के गांव परसाही बाना आदिवासी बहुल गांव है और आज भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है । 1 जुलाई को एक महिला की मौत लगभग 12.00 बजे हो जाती है और घनघोर बरसात के कारण महिला का शव दिन भर घर में रखा जाता है दूसरे दिन पानी थमने पर किसी तरह शव का अंतिम संस्कार करने के जतन किए जाते है और लोहे की पाइप चारों कोनों में गड़ाकर सांचा तैयार कर पन्नी तानकर अंतिम संस्कार किया जाता है लेकिन शायद दुनिया का सबसे बड़ा दुख कि फिर पानी गिरना शुरू हो गया और चिता बुझ गई और शव अधजला रह गया जिसे बाद में फिर से पैरा कंडा सुलगा कर जलाया गया । इस दुखद खबर ने लोगों के मनो-मस्तिष्क को हिला । फिलहाल विधायक राघवेन्द्र सिंह की संवेदनशीलता से इस गांव की सबसे त्रासद घटना से लोगों को मुक्ति मिलेगी।
मैं संगठन द्वारा दिये गये निर्देश पर कटनी प्रवास पर था और आज ही लौटा हूं लौटने पर मुझे इस घटना की सूचना मिली है । मैंने तुरंत सरपंच को बुलाकर इस विषय की जानकारी ली है और मुक्तिधाम बनाने विधायक निधि से पांच लाख की राशि स्वीकृत की है । उम्मीद है कि वहां ऐसी घटना देखने नहीं मिलेगी ।
राघवेन्द्र सिंह विधायक अकलतरा
प्रशासन कब लेगा स्वत: संज्ञान
आज भी अनेक गांवों में मुक्तिधाम नहीं है और यह खबर ऐसे ही मौके पर सामने अख़बार के माध्यम से आती है । दो वर्ष में चार घटनाओं ने शासन के सुशासन तिहार की पोल भी खोल दी है साथ ही उनकी जागरूकता का जीता-जागता प्रमाण कि इतनी घटनाओं के बाद भी प्रशासन द्वारा ऐसी घटनाओं को रोकने का प्रयास नहीं किया गया है । जिला प्रशासन द्वारा मुक्तिधाम विहीन गांवों में मुक्तिधाम बनाया जाना चाहिए लेकिन शायद जिला प्रशासन और सरपंच एक दूसरे के मद पर नजर गड़ाए बैठे हैं क्योंकि सरपंचो के पास भी हर वर्ष राशि आती है जिसका ज्यादातर उपयोग सरपंच खुद करता है और जिला प्रशासन भी 35 प्रतिशत कमीशन के फेर में आकंठ डूबा हुआ है इसलिए ये खबरें शासन के वरद पुत्रों प्रशासनिक अधिकारियों को ज्यादा तकलीफ़ देह नहीं लगती है ।