बिलासपुर

दुष्कर्म करने वाले को 20 साल सश्रम कारावास व अर्थदंड की विशेष न्यायालय ने सुनाई सजा, कोर्ट ने कहा— यौन हिंसा अमानवीय है जो महिला के संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है

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फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी युवक को 20 साल सश्रम कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई है। विशेष न्यायालय ने अलग-अलग धाराओं में पांच-पांच साल की सजा और जुर्माना ठोंका है। न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी व्यवस्था दी है कि आरोपी युवक बीते डेढ़ वर्ष से जेल में है। लिहाजा आरोपी द्वारा अभिरक्षा में बिताए गए अवधि को उसकी सजा में समायोजित की जाएगी। विशेष न्यायालय ने सभी सजाओं को साथ-साथ चलाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यद्यपति पीड़िता के साथ घटित अपराध से उसे हुई क्षति की प्रतिपूर्ति धन के रूप में नहीं हो सकती, परंतु फिर भी उसके शारीरिक,मानसिक एवं स्वास्थ्य के लिए और उसके आगामी भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए पीड़ित प्रतिकर योजना के दिशा निर्देश के पालन में पीड़िता को क्षतिपूर्ति प्रदाय किया जाना न्यायहित में उचित प्रतीत होता है।

विशेष अदालत ने दुष्कर्म के इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि यौन हिंसा अमानवीय कार्य होने के अतिरिक्त महिला की गोपनीयता और पवित्रता के अधिकार का ऐसा उल्लंघन है जो उसके संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है। यह ना सिर्फ उसके सर्वोच्च सम्मान पर गंभीर प्रहार है बल्कि उसके आत्मविश्वास तथा उसकी प्रतिष्ठा के प्रति अपराध होकर उसे कम कर उसे अपमानित करता है। वर्तमान में इस प्रकृति के अपराधों की संख्या में हो रही अत्यधिक वृद्धि से इन अपराधों पर नरम दृष्टिकोण अपनाया जाना उचित नहीं है। विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि किसी तथ्य का ज्ञान और किसी तथ्य में विश्वास या विश्वास किये जाने का कारण है।

इस प्रकरण में अभियुक्त द्वारा अवयस्क पीड़िता के साथ प्रेम संबंध स्थापित कर उसे साथ में ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया गया जिससे यही स्पष्ट होता है कि अभियुक्त की मानसिक स्थिति उपरोक्त अपराध को करने की थी। लिहाजा धारा-30 की उपधारणा करने का भी पर्याप्त आधार मौजूद है जिसका भी खंडन करने में अभियुक्त असफल रहा है। संपूर्ण विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि अभियोजन द्वारा यह प्रमाणित किया गया है कि घटना दिनांक आठ मई 2019 को पीड़िता एक अव्यस्क बालिका थी एवं अभियुक्त द्वारा उसकी इच्छा के विरुद्ध दुष्कर्म किया। आठ से 15 मई 2019 तक लगातार उसकी इच्छा एवं सहमति के विरूद्ध लगातार बलात्संग किया है। अभियुक्त सागर उर्फ धनंजय कश्यप को धारा-376(2)(एन) भादंस के स्थान पर धारा 376 (3) मा.दं.सं. व धारा 363, 366 क भादंस एवं धारा-5(एल) /6 पाक्सो अधिनियम में दोषसिद्ध किया जाता है। लिहाजा अभियुक्त के द्वारा, किये गये अपराध की प्रकृति को दृष्टिगत रखते हुए उसे परीविक्षा अधिनियम का लाभ नहीं दिया जाता है।

पहला अपराध नरमी का कारण नहीं बन सकता

विशेष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि दंड के प्रश्न पर अधिवक्ता को सुना गया। उनका कथन है कि यह उसका प्रथम अपराध है। पूर्व की कोई दोषसिद्धी नहीं है। वह पौने दो वर्ष अभिरक्षा में व्यतीत कर चुका है। जिसे दंडादेश में समायोजित करते हुए न्यूनतम अवधि से दंडित किये जाने का निवेदन किया गया है। यह सही है कि अभियुक्त के पूर्व से अपराधी होने के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है एवं वह लगभग पौने दो वर्ष अभिरक्षा में व्यतीत कर चुका है किन्तु केवल यही कारण उसके प्रति नरम दृष्टिकोण रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को क्षतिपूर्ति राशि देने का निर्देश दिया।

क्या है घटना

दुष्कर्म के आरोप सागर उर्फ धनंजय को भादवि की धारा 363 में पांच वर्ष सश्रम कारावास व 250 स्र्पये जुर्माना,भादिव की धारा 366 में पांच वर्ष सश्रम कारावास वे 250 स्र्पये जुर्माना तथा पाक्सो अधिनियम के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 500 स्र्पये का जुर्माना ठोंका है। विशेष न्यायालय ने अलग-अलग धाराओं में दी गई सजाओं को एकसाथ चलाने का निर्देश दिया है। विशेष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि अर्थदंड की अदायगी ना किए जाने पर अभियुक्त को भादवि की धारा 363 व 366 तथा पाक्सो अधिनियम में एक-एक वर्ष व तीन वर्ष का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना पड़ेगा। सागर उर्फ धनंजय कश्यप पिता पंचराम कश्यप, उम्र 23वर्ष ग्राम पिपरखुटा, थाना- लालपुर, जिला-मुंगेली प कोनी पुलिस ने भादवि की धारा 363,366,376 व धारा छह पाक्सो अधिनियम के तहत जुर्म दर्ज कर विशेष्ा न्यायालय में दो जुलाई 2019 को अभियोग पत्र पेश किया था। दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने कोनी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

छह संतानों में से पांचवंे नंबर की पुत्री जिनकी उम्र 15 वर्ष है आठ मई 2019 को दोपहर 12.30 बजे टिफिन लेकर आई थी। वहां से अपने चाचा को टिफिन देने गई। इसके बाद वह वापस घर नहीं पहुंची। 10 मई 2019 को पीड़िता उसकी बड़ी पुत्री को फोन कर सागर कश्यप के साथ होना व घर में नहीं बताने कहकर फोन काट दी थी। 10 मई 2019 को पड़िता के पिता ने अपने बेटी को सागर कश्यप द्वारा बहला फुसलाकर ले जाने की मौखिक शिकायत कोनी थाने में दर्ज कराई। पिता की शिकायत पर पुलिस ने सागर के खिलाफ भादवि की धारा 363 का जुर्म दर्ज किया। 15 मई को पुलिस ने पीड़िता को रायपुर से सुरक्षित बिलासपुर लेकर आए और सिम्स में मुलाहिजा कराया गया।

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