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शंभू बॉर्डर पर घायल किसानों का हाल- किसी ने गंवाई आंख, किसी की टूटी टांग

पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने गए दविंदर सिंह का सपना था कि वह पंजाब में रहकर सरकारी नौकरी करेंगे.
दविंदर के परिजनों के मुताबिक़ 13 फरवरी को किसान आंदोलन के दौरान उनकी बाईं आंख पर गंभीर चोट लगने से उनकी एक आंख ख़राब हो गयी है.
22 वर्षीय दविंदर सिंह के पिता मंजीत सिंह ने कहा कि उनके बेटे के चेहरे पर प्लास्टिक की गोली और आंसू गैस के गोले लगने से वो कथित तौर पर गंभीर रूप से घायल हो गया था. इसके बाद दविंदर को पटियाला ज़िले के स्थानीय सिविल अस्पताल ले जाया गया फिर उन्हें चंडीगढ़ के सेक्टर 32 स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेफर कर दिया गया.पंजाब के पटियाला ज़िले के शेखुपुरा गांव से ताल्लुक रखने वाले मंजीत सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया कि दविंदर की 15 फरवरी को सर्जरी हुई और उनकी बाईं आंख निकाल दी गई है.उन्होंने भावुक होकर कहा, “मेरा बेटा विदेश नहीं गया क्योंकि वह पंजाब में रहना चाहता था और खेती के साथ-साथ सरकारी नौकरी की परीक्षा की तैयारी कर रहा था.”मंजीत सिंह कहते हैं, ”हम पंजाब सरकार से अनुरोध करना चाहेंगे कि दविंदर को सहायता प्रदान की जाए क्योंकि उसका भविष्य पूरी तरह से धुंधला हो चुका है.” पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने मीडिया को बताया, ”कम से कम तीन किसानों की आंखों की रोशनी चली गई है, उनमें से एक को चंडीगढ़ के सेक्टर 32 के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.” उन्होंने कहा, “हमने उनकी जांच की और उनकी आंखों को नहीं बचाया जा सका.”

पटियाला के डिप्टी कमिश्नर शौकत अहमद परे ने बीबीसी न्यूज़ को बताया कि 15 फ़रवरी तक क़रीब 74 किसान घायल हुए थे, जिनमें से 10-12 किसान गंभीर रूप से घायल हुए हैं.उन्होंने आगे बताया कि घायलों का इलाज राजपुरा सिटी सिविल अस्पताल और पटियाला के सरकारी राजिंदरा अस्पताल में चल रहा है.जब 15 फ़रवरी की दोपहर को बीबीसी पंजाबी ने राजपुरा के सिविल अस्पताल का दौरा किया तो आपातकालीन वॉर्ड घायल किसानों से भरा हुआ था और डॉक्टर उनका इलाज करने में व्यस्त थे और उनमें से अधिकांश को मामूली चोटें आईं थीं.

किसानों के चल रहे धरने के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए किसानों का सरकारी राजिंदरा अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाज चल रहा है. उनके परिजन और किसान संगठनों के कार्यकर्ता घायलों की देखभाल कर रहे थे. घायल किसान उत्साहित लग रहे थे और किसान आंदोलन की ताज़ा ख़बरों के बारे में बात कर रहे थे जबकि उनके परिवार के सदस्य तनावग्रस्त और कुछ हद तक चिंतित थे.पंजाब के हज़ारों किसान, मुख्य रूप से भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) और किसान मज़दूर संघर्ष समिति के नेतृत्व में, पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू बॉर्डर जो पटियाला ज़िले में है और संगरूर ज़िले के खनौरी बॉर्डर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसान यूनियन के इस गुट ने 13 फरवरी को “दिल्ली चलो” का आह्वान किया था, लेकिन हरियाणा ने पंजाब राज्य के साथ लगती अपनी सीमा को सील कर दिया और पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती कर दी. जब 13 और 14 फ़रवरी को किसान हरियाणा द्वारा लगाए बैरिकेड हटाने की कोशिश कर रहे थे तब उन पर हरियाणा पुलिस द्वारा कथित तौर पर आंसू गैस के गोले और पेलेट गोलियां चलाई गईं.

पंजाब के फ़रीदकोट ज़िले के घनिवाल गांव के निवासी बलविंदर सिंह 13 फ़रवरी को खनौरी बॉर्डर पर घायल हो गए थे. उनके शरीर के ऊपरी हिस्से पर पैलेट गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं.बलविंदर सिंह ने कहा, ”हम 13 फ़रवरी को हमारे युवाओं को हरियाणा की बैरिकेडिंग की ओर जाने से रोक रहे थे, तभी अचानक हरियाणा पुलिस ने हम पर आंसू गैस के गोले और पैलेट गोलियां चलाईं, जो मेरे शरीर पर लगीं.”

उन्होंने आगे कहा, ”जब हम पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शांति से खड़े थे फिर भी हरियाणा पुलिस ने हम पर गोलियां चलाई. इसके बाद मुझे मौके़ पर प्राथमिक उपचार देने के बाद स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहाँ से पटियाला के राजिंदरा अस्पताल रेफर कर दिया गया.”बलविंदर सिंह जो ख़ुद को एक छोटा किसान बताते हैं, वो कहते हैं, “चाहे मैं वहीं मर जाऊं, मैं यहीं से किसान आंदोलन पर जाऊंगा.” उन्होंने कहा, ”हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए लड़ रहे हैं.” बलविंदर सिंह ने कहा, “जब देश को ज़रूरत थी तो किसानों ने देश के अनाज भंडार भर दिए और अब हम सरकार के लिए आतंकवादी बन गये हैं.”

बलविंदर के अलावा पटियाला ज़िले के अरनू गांव के बिक्रमजीत सिंह भी किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए खनौरी बॉर्डर पर गए थे. हरियाणा पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले से उनकी बाएं टांग में बड़ा फ्रैक्चर हो गया था. बिक्रमजीत सिंह के बहनोई अंग्रेज सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया कि बिक्रमजीत के पास 3 एकड़ ज़मीन है और वह 2020 के किसान प्रदर्शन के बाद से भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के सक्रिय सदस्य थे.

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