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देहरादून में 6 दर्दनाक मौतें और… देश में 10 साल में चली गईं 15 लाख जिंदगियां

देहरादून

उत्तराखंड के देहरादून में हादसे का वह मंजर जिसने भी देखा वह दहल गया. कंटेनर से इनोवा की टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि अपनी मजबूती के लिए मशहूर इस SUV के परखच्चे उड़ गए थे. इनोवा में सवार 6 युवक-युवतियों की मौके पर ही मौत हो गई. हादसा इतना दर्दनाक था कि एक युवती का सिर ही बदन से अलग हो गया था. बाकी शव भी बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए थे. इस हादसे ने एक बार फिर देश में सड़क पर फर्राटा भरती मौत को लेकर चिंता बढ़ा दी है. सुप्रीम कोर्ट भी इस पर चिंता जाहिर कर चुका है. सड़क और परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले 10 साल में 15 लाख से ज्यादा जानें जा (Road Accidents In Country) चुकी हैं. अगर इसकी तुलना करें तो यह देश के कई पूरे शहरों की आबादी से ज्यादा बैठती है. आइए देखते हैं, देश में हर साल कितनी जिंदगियां सड़क पर दम तोड़ रही हैं….

10 साल में मारे गए चंडीगढ़ की आबादी से ज्यादा लोग
सोमवार रात देहरादून में एक इनोवा कार की कंटेनर से इतनी भीषण भिड़ंत हुई कि न सिर्फ कार पूरी तरह से चकनाचूर हुई बल्कि छह लोगों की जान भी चली गई. हादसा इतना भयावह था कि देखने वालों की रूह कांप जाए. देश में ये कोई पहला सड़क हादसा नहीं है. पिछले 10 सालों में करीब 15 लाख लोग इस तरह के हादसों में मारे जा चुके हैं, ये जानकारी एक रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है.

देश में साल 2014 से 23 तक करीब 15.3 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं. आप हैरान हो जाएंगे जब आपको ये पता चलेगा कि मरने वालों का ये आंकड़ा चंडीगढ़ की आबादी से भी ज्यादा है और करीब भुवनेश्वर की आबादी के बराबर है. केंद्र सरकार बार-बार इस तरह के हादसों पर लगाम कसने की बात कहती रही है. सड़क हादसे में होने वाली इन मौतों पर लगाम कसने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है.

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में प्रति 10,000 किलो मीटर पर सड़क हादसों में करीब 250 लोगों की मौत हुई. जबकि इतनी ही दूरी पर अगर अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया में हुई मौतों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये सिर्फ 57, 119 और 11 हैं.
सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दशक (2004-13) में सड़क दुर्घटनाओं में 12.1 लाख लोगों की जान गई थी. जब कि पिछले 10 सालों में इनमें बढ़ोतरी देखी गई है, जो कि जनसंख्या, सड़क की लंबाई और वाहनों की संख्या में भारी उछाल के रूप में देखा जा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीवन के इस बड़े नुकसान को रोकने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास किए ही नहीं गए हैं.

सरकारी आंकड़ों से सामने आया है कि नए प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, साल 2012 में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 15.9 करोड़ से दोगुनी होकर 2024 में करीब 38.3 करोड़ हो गई है. सड़क की लंबाई 2012 में 48.6 लाख किमी से बढ़कर 2019 में 63.3 लाख किमी. हो गई है. हालांकि एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हर साल ज्यादा लोगों की मौतों की वजह सड़कों की लंबाई और वाहनों का बढ़ना नहीं हो सकता. उनका कहना है कि सभी जानते हैं कि सड़क सुरक्षा एक बहु-क्षेत्रीय मुद्दा है. इसके लिए सरकारी विभागों, हितधारकों और गैर-लाभकारी संस्थाओं के बीच ज्यादा सहयोग की जरूरत होती है. लेकिन इस दिशा में बहुत ज्यादा काम किया नहीं गया है.

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