फिलीपींस, खाड़ी देश… भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल की क्यों दीवानी हो रही है दुनिया, विशेषज्ञों से समझें
![](https://i0.wp.com/manasvarta.com/wp-content/uploads/2024/03/bramh.jpg?resize=500%2C375&ssl=1)
दुबई
भारत की मिसाइलों की दुनियाभर में लोकप्रियता बढ़ रही है। इसकी बानगी मिसाइलों को लेकर बढ़ती मांग से देखी जा सकती है। खाड़ी देशों से लेकर अफ्रीकी मुल्कों तक, सब भारत की मिसाइलें हासिल करना चाहते हैं। भारत की क्रूज मिसाइलें हवा और जमीन से लॉन्च किए जाने वाले दोनों वर्जन पेश करती हैं। ऐसे में अपनी मिसाइल क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से खाड़ी देशों और उत्तरी अफ्रीका के देशों के लिए भारत एक पसंदीदा विकल्प के रूप में लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
स्पुतनिक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ने खासतौर से अरब मुल्कों और अफ्रीकी देशों का ध्यान खींचा है, जिससे उनके रक्षा शस्त्रागार में मिसाइल के लिए अलग रुचि बनी है। विशेष रूप से सुखोई लड़ाकू जेट बेड़े वाले देशों ने मिसाइल प्रणाली के प्रति विशेष आकर्षण दिखाया है जो अपनी अनुकूलनशीलता के लिए जाना जाता है। हवा और जमीन से लॉन्च किए जाने वाले दोनों वेरिएंट के साथ, ब्रह्मोस उन देशों के लिए एक पसंदीदा विकल्प बन रहा है जो अपनी मिसाइल क्षमताओं को बढ़ाना चाहते हैं। इसमें भारत 450 किलोमीटर से अधिक के लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइले खास हैं।
ब्रह्मोस के जरिए संबंधों को भी मिल रही मजबूती
जनवरी 2021 में भारत ने सहयोगी देशों के साथ संबंधों को बढ़ाने के प्रयास शुरू किए, जिसमें विभिन्न देश शामिल थे। इनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे मध्य पूर्वी देशों पर खास जोर दिया गया। यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) के निदेशक मेजर जनरल संजीव चौधरी (सेवानिवृत्त) ने स्पुतनिक इंडिया को बताया, भारत सरकार ने इन देशों में पसंदीदा हथियार के रूप में पहचाने जाने वाले ब्रह्मोस के प्रति बढ़ती अनुकूलता पर बारीकी से नजर रखी। इसकी सटीक हमला करने की क्षमता है, जो ब्रह्मोस को अपनी श्रेणी में अन्य प्रणालियों पर बढ़त देती है। समय के साथ और भी देश इस सूची में शामिल हो गए हैं, इनमें मिस्र भी शामिल है।
रूस ने दागी परमाणु मिसाइल, धमकी के 24 घंटे बाद पुतिन ने ये क्या किया?
यूएसआई के मेजर जनरल जगतबीर सिंह के मुताबिक, भारत की आर्थिक वृद्धि, रक्षा क्षमताओं और सैन्य-औद्योगिक परिसर का अवलोकन करने वाला कोई भी देश ब्रह्मोस संयुक्त उद्यम में रूस के साथ सहयोग को एक उल्लेखनीय रक्षा निर्यात हासिल कर सकेगा। विशेष रूप से सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और आर्मेनिया जैसे देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए गए हैं, जिससे उन्हें संभावित ग्राहकों के रूप में स्थापित किया गया है। रक्षा निर्यात के क्षेत्र पर बात करते हुए सिंह ने कहा कि सफल सहयोग और अत्याधुनिक तकनीक का होना इसमें महत्वपूर्ण हैं। ब्रह्मोस मिसाइलें इसका एक अच्छा उदाहरण हैं। भारत और रूस मिलकर विश्व स्तरीय तकनीक विकसित करने के लिए शोध कर रहे हैं। इसे वैश्विक मान्यता मिल रही है। फिलीपींस ने भी हाल ही में उन्नत मिसाइल प्रणालियों को हासिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है।