98 फुट लंबा, 74 टन वजन… ‘शिव’ की दहाड़ से कांपती थी धरती, वैज्ञानिकों ने खोजे सबूत
वैज्ञानिकों ने करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर घूमने वाले डायनासोरों की एक प्रजाति का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा है. ये डायनासोर 98 फुट लंबे होते थे. अर्जेंटीना में इस विशालकाय डायनासोर के अवशेष मिले हैं. रिसर्च के अनुसार, 9 करोड़ साल से भी पहले ये डायनासोर धरती पर राज करते थे. वैज्ञानिकों ने इस डायनासोर को Bustingorrytitan shiva नाम दिया था. अब एक आर्टिस्ट की मदद से यह दिखाने की कोशिश हुई है कि लंबी गर्दन वाले ये जीव आखिर दिखते कैसे थे. B. shiva अब तक मिले सबसे बड़े सॉरोपोड्स में से एक है. पिछले साल दिसंबर में छपी रिसर्च के अनुसार, इनका वजन करीब 74 टन हुआ करता था. B. shiva की खोज उत्तरी पैटागोनिया इलाके में हुई थी. एक किसान ने पहली बार 2000 में भीमकाय जीवाश्म देखा था. 2001 से खुदाई शुरू हुई. पहले एक पैर की हड्डी मिली. बाद में रिसर्चर्स को वहां कम से कम चार डायनासोरों के अवशेष मिले.
एक साथ रहती थीं डायनासोरों की कई प्रजातियां
नई रिसर्च बताती है कि उत्तरी पैटागोनिया में भीमकाय टाइटेनोसॉरों की दो-दो प्रजातियां- B. shiva’s saltasauroids और Argentinosaurus’ lognkosaurs एक साथ रहती थीं. रिसर्च के अनुसार, वे क्रेटेशियस काल के मध्य में (145 मिलियन से 66 मिलियन वर्ष पूर्व) छोटे सॉरोपोड्स के साथ पाए जाते थे. स्टडी की लीड ऑथर मारिया एडिथ सिमोन के मुताबिक, हर सॉरोपॉड एक-दूसरे से अलग था. सबके दांव, सिर और शरीर में भिन्नता पाई गई. सिमोन ने LiveScience को बताया कि ‘यह दिखाता है कि वे सभी एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा किए बिना रह सकते थे.’
क्रेटेशियस काल के आखिर तक बचा रहा B. shiva का वंश
स्टडी के अनुसार, क्रेटेशियस काल के बीच में एक भयानक घटना की वजह से शुरुआती डिप्लोडोकॉइड सॉरोपोड्स और कुछ टाइटानोसॉर जैसी प्रजातियां विलुप्त हो गईं. रिसर्चर्स को अभी यह नहीं पता कि B. shiva के साथ क्या हुआ. रिसर्चर्स के अनुसार, इसके कुछ साल्टासौराइड वंश उस घटना में बच गए थे और क्रेटेशियस काल के अंत तक जीवित रहे. आखिरकार एक एस्टेरॉयड की टक्कर ने पृथ्वी पर सभी गैर-एवियन डायनासोरों को खत्म कर दिया.