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कश्मीर में टेरर फंडिंग, आतंक और अलगाववाद… कौन हैं इंजीनियर राशिद, जिनकी रिहाई ने हलचल मचा दी है!

नई दिल्ली

”मैं अपने लोगों को निराश नहीं करूंगा. मैं शपथ लेता हूं कि मैं पीएम मोदी के नया कश्मीर नैरेटिव से लड़ूंगा, जो जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह नाकाम हो गया है…” जेल से बाहर आते ही बारामूला सीट से सांसद इंजीनियर राशिद अंतरिम के इस बयान ने हलचल मचा दी है. वो टेरर फंडिंग के मामले में जेल में बंद थे. लेकिन आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए उनको 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी गई है.

इंजीनियर रशीद का असली नाम शेख अब्दुल रशीद है. वो जम्मू-कश्मीर अवामी इत्तेहाद पार्टी के संस्थापक हैं. जम्मू-कश्मीर के लंगेट निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं. यहां से उन्होंने साल 2008 और 2014 में जीत हासिल की थी. उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे. इसके बाद बीते लोकसभा चुनाव में निर्दल प्रत्याशी के रूप में बारामूला सीट से उन्होंने चुनाव लड़कर जीत हासिल की है.

साल 2008 में शेख अब्दुल रशीद पहली बार ‘इंजीनियर रशीद’ के नाम से चर्चा में आए थे. उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के बाद अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. महज 17 दिनों के चुनावी अभियान के बाद लंगेट निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी. साल 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग के आरोप में यूएपीए कानून के तहत रशीद को गिरफ्तार किया था. तबसे तिहाड़ जेल में बंद थे.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 30 मई 2017 को एनआईए ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद सहित कई अन्य अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था. इन पर आतंकवादियों के साथ मिलकर हवाला के जरिए पैसे पाने और एकत्र करने का आरोप था.

कश्मीर में टेरर फंडिंग और अलगाववाद का आरोप

एनआईए के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए आतंकवादी संगठनों हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, दुख्तरान-ए-मिल्लत, लश्कर-ए-तैयबा के सक्रिय आतंकवादियों के साथ हवाला के जरिए पैसे एकत्र किए गए. उस समय इस मामले में राशिद का नाम नहीं था. वो 18 जनवरी 2018 को दायर एनआईए की पहली चार्जशीट या 22 जनवरी 2019 को दायर पूरक चार्जशीट में भी आरोपी नहीं थे.

NIA की पूरक चार्जशीट में बनाए गए आरोपी

इंजीनियर राशिद को 9 अगस्त, 2019 को आर्टिकस 370 के निरस्त होने और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने के चार दिन बाद गिरफ्तार किया गया. उसको तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ हिरासत में रखा गया. 4 अक्टूबर 2019 को दायर एनआईए की दूसरी पूरक चार्जशीट में उसे आरोपी के रूप में नामित किया गया. इसके साथ यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम और आसिया अंद्राबी भी आरोपी बनाए गए.

अलगाववादी विचारधारा का करते रहे हैं प्रचार

एनआईए के अनुसार, इंजीनियर राशिद ने अलगाववाद की विचारधारा का प्रचारक रहे है. उन्होंने कई सार्वजनिक मंचों का इस्तेमाल करके लोगों को देश के खिलाफ भड़काया. जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी आतंकवादी समूहों के मंच, यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) को वैधता प्रदान करना चाहते थे. एनआईए ने ख्वाजा मंजूर अहमद चिश्ती द्वारा यासीन मलिक को भेजे गए एक ईमेल का हवाला भी दिया था.

‘हवाला डीलर ने दिया था पैसों से भरा लिफाफा’

इस ईमेल से पता चला कि राशिद जेकेएलएफ के माध्यम से धन जमा कर रहे थे, जिसे घाटी में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कूरियर के माध्यम से भेजा जा रहा था. एनआईए ने एक गवाह के बयान पर भरोसा किया, जिसने 2011 से 2014 तक राशिद के लिए काम करने का दावा किया था. उसने हवाला डीलर जहूर अहमद शाह वटाली को राशिद को पैसे से भरा एक लिफाफा देते देखा था.

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