बच्चों की तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार से मांगी रिपोर्ट, पूछे ये 6 सवाल
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में संगठित तरीके से बच्चों की तस्करी के मुद्दे पर व्यापक सुनवाई करने का निर्णय लिया और केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मामले में डेटा एकत्र करके एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ याचिकाकर्ता संजय समेत अन्य की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया. जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को निम्नलिखित विवरण वाली एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछे ये 6 सवाल
- 2020 से यानी जब क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर (Cri-MAC) लॉन्च किया गया था, तब से प्रत्येक जिले/राज्य में कितने बच्चों के लापता होने के मामले दर्ज किए गए हैं?
- पंजीकृत प्रकरणों में से कितने बच्चों को 4 माह की निर्धारित अवधि में बरामद किया जा चुका है और कितने बच्चों को बरामद किया जाना शेष है?
- क्या प्रत्येक जिले में मानव तस्करी विरोधी इकाइयां स्थापित की गई हैं और यदि हां, तो संबंधित मानव तस्करी विरोधी इकाइयों को कितने मामले सौंपे गए हैं.
- लागू कानूनों के तहत मानव तस्करी विरोधी इकाइयों को प्रदत्त शक्तियां क्या हैं?
- प्रत्येक जिले/राज्य में बाल तस्करी के मामलों से संबंधित लंबित मुकदमों की संख्या.
- गुमशुदा बच्चे की जांच में देरी या बरामदगी न होने के मामलों में संबंधित राज्य क्या कदम उठाने का इरादा रखते हैं, सहित वर्ष-वार डेटा प्रदान किया जाना चाहिए.
SC ने HC के आदेशों को किया रद्द
सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के उन आदेशों को रद्द करते हुए यह निर्देश जारी किए, जिसमें उत्तर प्रदेश, झारखंड और राजस्थान राज्यों में फैले बाल तस्करी रैकेट में शामिल होने के छह आरोपियों को जमानत दी गई थी. विशेष रूप से जिन व्यक्तियों को जमानत दी गई थी, उन पर 4 वर्षीय लड़के के अपहरण का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में शामिल मापदंडों पर विचार किए बिना आरोपी व्यक्तियों को जमानत दे दी थी.