बिलासपुर। भारत का सबसे बड़ा स्थायी छठ घाट तोरवा छठ महापर्व के लिए तैयार है। नहाय खाय के साथ पांच नवंबर से पर्व प्रारंभ होगा। प्रथम दिवस श्रद्धालुओं द्वारा अरपा नदी पर 5100 दीप प्रवाहित किए जाएंगे। सूर्यास्त के साथ अरपा मईय्या की महाआरती की जाएगी। मुख्य अतिथि के रूप में बरमबाबा मंदिर के श्री श्री 1008 त्यागी प्रेमदास जी महाराज होंगे।
समिति के अध्यक्ष वीएन झा ने बताया की समिति के सभी सदस्य पूरे दिन आरती की तैयारी एवं पार्किंग व्यवस्था की तैयारी में लगे रहे। व्रतियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था करना प्रमुख कार्य है। पार्किंग व्यवस्था को लेकर प्रशासन के साथ सहयोग लेकर वन विभाग की ओर नई जगह लेवल करना जगह बनाना और समुचित रूप से पार्किंग की व्यवस्था के लिए स्थल तैयार किया गया।
समिति के विशेष सहयोगी प्रवीण झा एवं डा.धर्मेंद्र दास ने बताया कि तोरवा छठ घाट देश का सबसे बड़ा घाट है। हर साल यहां 50 से 55 हजार व्रती उगते और डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देने पहुंचते हैं। छठ पूजा के लिए बिहार में कई घाट हैं। अकेले राजधानी पटना में 80 से ज्यादा घाट हैं, लेकिन सभी घाटों का क्षेत्र महज 100 से 200 मीटर ही है। जबकि तोरवा छठ घाट साढ़े आठ एकड़ में फैला हुआ है। यहां डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्र में पूजा व अर्घ्य के लिए बेदी बनाई जाती है। मुंबई का जुहू स्थित चौपाटी सबसे बड़ा घाट माना जा सकता है, लेकिन वह स्थाई नहीं है। तोरवा छठ घाट स्थाई है।
नहाय-खाय एक विशिष्ट परंपरा
छठ महापर्व में नहाय खाय का विशेष महत्व है। नहाय-खाय का मतलब होता है कि व्रती महिलाएं पहले नहाती हैं उसके बाद पूजा-अर्चना कर सात्विक भोजन करती हैं। इस दिन खाने में चावल, चने की दाल, लौकी या कद्दू की सब्जी बनाई जाती है। बता दें कि छठ पूजा में शुद्धता का बड़ा महत्व है। यह शुद्ध सात्विक प्रसाद होता है। माना जाता है कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है।
कल खरना,बनेंगे विशेष प्रसादी
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। खरना के दिन व्रती (महिलाएं) दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं। वहीं संध्याकाल में स्नान-ध्यान कर छठी मैया की पूजा की जाती है। इस समय छठी मैया को प्रसाद में गुड़ से निर्मित चावल की खीर और रोटी अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर परिवार के सदस्यों के मध्य वितरित करती हैं। छह नवंबर को श्रद्धालु ””खरना”” का प्रसाद ग्रहण करेंगे। सात नवंबर को संध्या में छठ माता की पूजा करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा और आठ नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होगा।
तैयारी में जुटे प्रमुख सदस्य
छट महापर्व को लेकर प्रमुख रूप से सुधीर झा, हरिशंकर कुशवाहा, पीसी झा, विनोद सिंह, धनंजय झा, आनंद मोहन मिश्रा, नवीन सिंह, राघव झा, जुगल किशोर झा, रोशन सिंह, रामप्रताप सिंह, रामसखा रविंद्र कुशवाहा, सपना सराफ, चंद्र किशोर प्रसाद, शैलेंद्र सिंह राजपूत, ललितेश सिंह,अर्पित सिंह, राम गोस्वामी ,अजीत पंडित, अशोक झा, जगदानंद झा, प्रभाकर चौधरी, शशि मिश्रा, कच्छ झा, आनंद झा, राहुल सिंह ,आदित्य सिंह, मुन्ना सिंह, परमेंद्र सिंह, रविंद्र सिंह,अर्जुन सिंह, सुरेंद्र सिंह, अनमोल झा शामिल रहे।
छट घाट पर यह व्यवस्था
- अरपा नदी के दो किलोमीटर दायरे में साफ-सफाई।
- पुलिस हेल्प लाइन की सुविधा, सीसीटीवी से निगरानी।
- नगर-निगम और यातायात विभाग को विशेष निर्देश।
- विद्युत विभाग के सहयोग से चारों ओर रोशनी।
- अपात स्थिति से निपटने एडीआरएफ की टीम तैनात।
- अग्निशमन और एंबुलेंस सेवा भी मौके पर उपलब्ध।
- पटाखा जोन बनाया गया है,वहीं होगी आतिशबाजी।
- दूध के लिए अलग से स्टाल, कपड़े बदलने चेजिंग रूम।
- मोबाइल चोर व पाकिटमारों पर होगी विशेष निगरानी।
- स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण के लिए दिलाएंगे संकल्प।